पब्लिक फर्स्ट । राजेन्द्र बाजपेयी । जगदलपुर ।

विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरे के लिए रथ निर्माण का काम शुरू कर दिया गया है। जगदलपुर के सिरहासार भवन में बारसी उतारनी रस्म अदा होने के बाद कारीगर चार पहियों का फूल रथ बनाने में जुट गए हैं। इस काम के लिए 2 गांव के 75 कारीगर लगे हुए हैं। 13 दिनों के भीतर रथ निर्माण पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।

बस्तर दशहरे में रथ निर्माण की यह परंपरा करीब 615 साल पुरानी है। कुछ दिन पहले पुजारियों ने परंपरा अनुसार मोंगरी मछली और बकरे की बलि दी थी। फिर साल, तिनसा और बीजा प्रजाति की लकड़ियों की पूजा-अर्चना कर रथ निर्माण का काम शुरू कर दिया गया था। इस रथ निर्माण का आज पांचवां दिन है। फूल रथ का पहला चक्का बनकर तैयार हो गया है। इस चक्के में एक्सल लगाने के लिए बीच में एक होल किया गया है। इसी को नार फोड़नी रस्म कहा जाता है। यह परंपरा आज निभाई जाएगी।

जगदलपुर के सिरहासार भवन में डेरी गड़ाई की रस्म अदा की गई थी। जिसके बाद से दरभा और माचकोट के जंगल से रथ निर्माण के लिए साल, तिनसा और बीजा प्रजाति की लकड़ियां लाने का काम शुरू कर दिया गया था। 4 पहियों वाले फूल रथ के लिए लगभग 240 पेड़ों को काटा गया है। लकड़ियों को सिरहसार भवन के सामने रखा गया है। बस्तर के झारउरमगांव और बेड़ाउमरगांव के करीब 75 कारीगर रथ निर्माण करने जुट गए हैं। पिछले साल विजय रथ बनाया गया था और 100 से ज्यादा कारीगर लगे थे।

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