भोपाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देवी अहिल्याबाई होल्कर की 300वीं जयंती पर आयोजित महिला सशक्तिकरण महासम्मेलन में देश को संबोधित किया। इस ऐतिहासिक मौके पर प्रधानमंत्री ने जहां “ऑपरेशन सिंदूर” के तहत आतंकवादियों को मुँहतोड़ जवाब देने की बात कही, वहीं भारत की नारी शक्ति और सांस्कृतिक विरासत की शक्ति को भी खुलकर उजागर किया।

“ऑपरेशन सिंदूर”: पाकिस्तान को खुली चुनौती

प्रधानमंत्री ने स्पष्ट शब्दों में कहा, “अगर तुम गोली चलाओगे, तो मानकर चलो गोली का जवाब गोले से मिलेगा।” उन्होंने बताया कि भारतीय सेना ने सैकड़ों किलोमीटर दूर जाकर दुश्मनों के आतंकी ठिकानों को नेस्तनाबूद किया, जो भारत के इतिहास में सबसे बड़ा सफल सैन्य ऑपरेशन बन गया है।

उन्होंने आगे कहा कि आतंकियों ने सिर्फ निर्दोषों की जान नहीं ली, बल्कि भारत की संस्कृति और नारी शक्ति पर भी हमला किया। लेकिन यही चुनौती उनके लिए काल बन गई।

पीएम मोदी के भाषण में लोकमाता देवी अहिल्या बाई से जुड़ी 10 बड़ी बातें

1. दृढ़ इच्छा शक्ति और प्रतिज्ञा देवी अहिल्याबाई प्रतीक है कि जब इच्छा शक्ति होती है, दृढ़ प्रतिज्ञा होती है तो परिस्थितियां कितनी ही विपरीत हों, परिणाम लाकर दिखाया जा सकता है।

2. गरीब से गरीब को समर्थ बनाने का काम ढाई-तीन सौ साल पहले जब देश गुलामी की जंजीरों में जकड़ा हुआ था, उस समय ऐसे महान कार्य कर जाना कि आने वाली अनेक पीढ़ियां उसकी चर्चा करे, ये कहना तो आसान है, करना आसान नहीं था। साथियो, लोकमाता अहिल्याबाई ने प्रभुसेवा और जन सेवा, इसे कभी अलग नहीं माना। कहते हैं वे हमेशा शिवलिंग अपने साथ लेकर चलती थीं। उस चुनौतीपूर्ण कालखंड में एक राज्य का नेतृत्व, कांटों से भरा ताज, कोई कल्पना कर सकता है, कांटों से भरा ताज पहनने जैसा वो काम, लेकिन लोकमाता ने अपने राज्य को नई दिशा दी। उन्होंने गरीब से गरीब को समर्थ बनाने का काम किया।

3. काशी विश्वनाथ में देवी अहिल्याबाई की मूर्ति देवी अहिल्या भारत की विरासत की बहुत बड़ी संरक्षक थीं। जब देश की संस्कृति, मंदिरों पर हमले हो रहे थे, तब लोकमाता ने उनको संरक्षित करने का वीणा उठाया। देश में कई मंदिरों-तीर्थों का पुर्निर्माण किया। मेरा सौभाग्य है, जिस काशी में लोकमाता ने विकास के इतने काम किए, उस काशी ने मुझे भी सेवा का अवसर दिया है। आज अगर आप काशी विश्वनाथ महादेव के दर्शन करने जाएंगे तो वहां आपको देवी अहिल्या बाई की मूर्ति भी मिलेगी।

4. गुड गवर्नेंस, उद्योग और रोजगार माता अहिल्या बाई ने गवर्नेंस का ऐसा उत्तम मॉडल अपनाया, जिसमें गरीबों और वंचितों को सबसे ज्यादा प्राथमिकता दी गई। रोजगार और उद्यम के लिए उन्होंने अनेक योजनाओं को शुरू किया। खेती को बढ़ावा देने के लिए नहरों का जाल बिछाया, उस जमाने में 300 साल पहले जल संरक्षण के लिए उन्होंने कितने ही तालाब बनवाए। आज हम कह रहे हैं, बारिश के एक-एक बूंद पानी को बचाओ। देवी अहिल्या जी ने ढाई सौ-तीन सौ साल पहले हमें ये काम बताया था।

5. किसान और खेती से आय किसानों की आय बढ़ाने के लिए उन्होंने कपास और मसालों की खेती को प्रोत्साहित किया। आज हमें बार-बार किसानों को कहना पड़ता है कि क्रॉप डायवर्सिफिकेशन बहुत जरूरी है। हम केवल धान या गन्ने की खेती करके अटक नहीं सकते। उन्होंने आदिवासियों और घुमंतू टोलियों के लिए खाली पड़ी जमीन पर खेती की योजना बनाई। मेरा सौभाग्य है कि आज देश के राष्ट्रपति पद पर आज जो विराजमान हैं, उनके मार्गदर्शन में मुझे आदिवासी भाई बहनों की सेवा का मौका मिला है।

6. हुनर की पारखी देवी अहिल्या ने विश्व प्रसिद्ध महेश्वरी साड़ी के लिए नए उद्योग लगाए हैं। बहुत कम लोगों को पता होगा कि देवी अहिल्या हुनर की पारखी थीं, वो गुजरात के जूनागढ़ से कुछ कारीगरों को लेकर आईं और महेश्वरी साड़ी का काम आगे बढ़ाया, जो अनेक परिवारों का गहना बन गया। जिससे हमारे बुनकर परिवारों को बहुत फायदा हुआ है।

8. बेटियों की शादी की उम्र देवी अहिल्याबाई को कई बड़े सामाजिक सुधारों के लिए भी हमेशा याद रखा जाएगा। आज अगर बेटियों की शादी की उम्र की चर्चा करें तो हमारे देश के कुछ लोगों को सेक्यूलरिस्म खतरे में दिखता है। उनको लगता है ये हमारे धर्म के खिलाफ है। देवी अहिल्या बाई को देखिए। मातृ शक्ति के लिए उस जमाने में बेटियों की शादी के बारे में सोचती थीं। उनकी खुद की शादी छोटी उम्र में हुई थी। लेकिन उनको पता था, बेटियों के विकास के लिए कौन सा रास्ता होना चाहिए।

8. महिलाओं को संपत्ति में अधिकार देवी अहिल्या जी थीं, उन्होंने महिलाओं का भी संपत्ति में अधिकार हो, जिनके पति की असमय मृत्यु हो गई हो, वो फिर विवाह कर सके। उस कालखंड में ये बातें करना भी बहुत मुश्किल लगता था। लेकिन अहिल्याबाई ने इन समाज सुधारों को भरपूर समर्थन दिया।

9. सेना में महिलाओं की भागीदारी उन्होंने मालवा की सेना में महिलाओं की एक विशेष टुकड़ी भी बनाई थी। ये पश्चिम की दुनिया के लोगों को पता नहीं है। हमें कोसते रहते हैं। हमारी माताओं-बहनों के अधिकारों के नाम पर हमें नीचा दिखाने की कोशिश करते हैं। ढाई सौ-तीन सौ साल पहले हमारे देश में सेना में महिलाओं का होना…।

10. राष्ट्र निर्माण में नारी शक्ति का योगदान उन्होंने गांवों में महिला सुरक्षा टोलियां, ये भी बनाने का काम किया था। यानी अहिल्याबाई राष्ट्र निर्माण में हमारे नारी शक्ति के अमूल्य योगदान का प्रतीक है। मैं उनको प्रणाम करता हूं। प्रार्थना करता हूं, आप जहां भी हों, हम सभी पर आशीर्वाद बरसाएं।

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