आधुनिक पश्चिमी वैज्ञानिक पृथ्वी की वास्तविक उम्र जानते हुए भी अब्राहमिक पंथ क्यों मानते हैं ?

•   वैज्ञानिक दृष्टिकोण:

आधुनिक विज्ञान के अनुसार पृथ्वी लगभग 4.54 अरब वर्ष पुरानी है। यह निष्कर्ष रेडियोमेट्रिक डेटिंग, भूवैज्ञानिक साक्ष्य और अन्य वैज्ञानिक विधियों से निकाला गया है।

•   अब्राहमिक पंथों की ऐतिहासिकता:

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अब्राहमिक पंथ (यहूदी, ईसाई, इस्लाम) का धार्मिक इतिहास कुछ हज़ार वर्षों पुराना है। बाइबिल के आधार पर, पृथ्वी की आयु कुछ हज़ार वर्ष मानी जाती थी, लेकिन यह धार्मिक मान्यता है, वैज्ञानिक तथ्य नहीं।

•   धर्म और विज्ञान का भेद:

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कई वैज्ञानिक व्यक्तिगत रूप से अब्राहमिक पंथों को सांस्कृतिक, पारिवारिक या आध्यात्मिक कारणों से मानते हैं, जबकि अपने पेशेवर जीवन में वैज्ञानिक तथ्यों को स्वीकार करते हैं। धर्म और विज्ञान को वे अलग-अलग क्षेत्रों (faith vs. evidence) के रूप में देखते हैं।

•   सनातन ग्रंथों की समय-कल्पना:

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वैदिक/सनातन धर्म में कल्प, युग और सृष्टि-चक्र की अवधारणा पृथ्वी और ब्रह्मांड को अरबों वर्षों पुराना मानती है, जो आधुनिक वैज्ञानिक अनुमानों के अधिक निकट है ।

यानि साफ है – सनातन धर्म और ज्ञान एक ही है – वही अब्राहम पंथों का इतिहास और आधुनिक विज्ञान दोनो मेल नहीं खाते ।

वैदिक सनातन धर्म के ग्रंथों में जो उल्लेखित है वो ही आधुनिक विज्ञान अपनी रिसर्च होने के बाद पाता है और प्रमाणित करता है – लेकिन ऐसा वे स्वयं जिस पंथ को मान रहे हैं ( यहूदी, ईसाई , इस्लाम आदि ) की किताबों में उल्लेखित वर्णनों को वैज्ञानिक दृष्टिकोण और रिसर्च से प्रमाणित नहीं कर पाते है ।

तो जो भी अंग्रेज़ या पश्चिमी दार्शनिक या वैज्ञानिक अगर सनातन वैदिक धर्म पर कोई टिप्पणी करें तो उन्हें इससे पहले अपने पंथ / मत को उन्हीं के वैज्ञानिक दृष्टिकोण से प्रमाणित करना चाहिये ।

अगर उनके RELIGIOUS FAITH ( धार्मिक आस्था ) और SCIENCE ( विज्ञान ) अलग अलग है और मेल नहीं खाते तो कौन सही और कौन गलत इसका निर्णय कैसे होगा ??

publicfirstnews.com

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