मध्यप्रदेश सरकार ने 2025 में मूंग की सरकारी खरीदी न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर बंद कर दी है, जिसका कारण किसानों द्वारा फसल में प्रतिबंधित और जहरीले पेस्टिसाइड्स का उपयोग बताया गया है। इस फैसले से किसानों में भारी असंतोष और नाराज़गी है
• किसानों को घाटा
अब किसानों को अपनी मूंग मंडियों में 6000–6500 रुपये प्रति क्विंटल के भाव पर बेचनी पड़ रही है, जबकि सरकार द्वारा घोषित MSP 8,768 रुपये प्रति क्विंटल है।
• आंदोलन और विरोध
कई जिलों में किसानों ने विरोध प्रदर्शन किए हैं, जैसे नरसिंहपुर में अर्धनग्न प्रदर्शन। किसान संगठन भी सरकार से खरीदी शुरू करने की मांग कर रहे हैं।
• किसानों की चिंता
किसानों का कहना है कि उन्हें पेस्टिसाइड्स के उपयोग के नियमों की सही जानकारी नहीं दी गई थी, और खरीफ की बुआई से पहले जल्दी कटाई के लिए यह आम प्रक्रिया है।
• नीतिगत असंतोष
किसान संगठनों और कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि इस फैसले से किसान मूंग जैसी फसलों से विमुख हो सकते हैं।
- किसानों को आर्थिक नुकसान
MSP हटने से किसानों को मंडियों में मूंग 6000–7000 रुपये/क्विंटल पर बेचनी पड़ रही है, जबकि MSP 8768 रुपये/क्विंटल थी। इससे किसानों को प्रति क्विंटल 1000–2700 रुपये तक का घाटा हो रहा है।
• खेती का रकबा और उत्पादन प्रभावित
किसान अब मूंग की खेती से हतोत्साहित हो सकते हैं, क्योंकि उन्हें लागत निकालना मुश्किल हो रहा है। कई किसान तीसरी फसल (जायद मूंग) लेना बंद कर सकते हैं, जिससे उत्पादन घट सकता है।
• नीति पर सवाल
किसान संगठनों और विशेषज्ञों का मानना है कि MSP न मिलने से मूंग की खेती में रुचि कम होगी और दलहन उत्पादन में आत्मनिर्भरता पर भी असर पड़ेगा।
• किसानों में असंतोष और आंदोलन
MSP पर खरीदी न होने से कई जिलों में किसान आंदोलन और विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, जिससे सरकार पर दबाव बढ़ा है
विशेष टिप्पणी :
मूंग की MSP पर खरीदी बंद होने से मध्यप्रदेश के किसानों में स्पष्ट असंतोष और आक्रोश है, जो विरोध प्रदर्शन और बाजार में कम कीमत मिलने के रूप में सामने आ रहा है ।
किसान फ़र्स्ट ब्यूरो ।
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