पन्ना, मध्य प्रदेश:
सरकार चाहे जितने दावे कर ले कि “पढ़ेगा इंडिया तभी बढ़ेगा इंडिया”, लेकिन ज़मीनी हकीकत इससे बहुत दूर है। पन्ना जिले के पवई तहसील से महज चार किलोमीटर दूर स्थित ग्राम करही के शासकीय हाई स्कूल तक पहुँचने का रास्ता अब जान जोखिम में डालने जैसा बन चुका है। गांव के बच्चे रोज़ स्कूल पहुंचने के लिए तेज़ बहाव वाली नहर और भरे हुए तालाब को पार करते हैं क्योंकि बीच का रास्ता पूरी तरह से टूट चुका है।
नहर और तालाब के बीच स्कूल तक जोखिम भरी राह
ग्राम करही का यह शासकीय हाई स्कूल सैकड़ों छात्र-छात्राओं के भविष्य को आकार दे रहा है, लेकिन स्कूल तक पहुंचना किसी चुनौती से कम नहीं। एक ओर मुख्य नहर बह रही है और दूसरी तरफ तालाब पानी से लबालब है। टूटे हुए रास्ते से नहर का पानी तालाब में जा रहा है जिससे बहाव और अधिक तेज़ हो गया है। ऐसे में बच्चों को इसी पानी से होकर स्कूल पहुंचना पड़ता है। किसी भी दिन बड़ा हादसा हो सकता है।
शिक्षक बना रहे हैं सहारा, प्रशासन बना है बेपरवाह
विद्यालय के शिक्षक बच्चों को हाथ पकड़कर पानी पार कराते हैं। स्कूल तक कोई पक्का रास्ता नहीं है, जिससे बच्चों के कपड़े कीचड़ में खराब हो जाते हैं और उनमें डर भी बना रहता है। भरे हुए पानी में सांप और अन्य विषैले जीवों के होने का खतरा अलग है। बच्चों ने बताया कि उनके माता-पिता उन्हें स्कूल जाने से मना करते हैं, लेकिन शिक्षा के प्रति लगन उन्हें रोक नहीं पाती।
विद्यालय के प्रभारी प्राचार्य ने बताया कि उन्होंने इस समस्या की जानकारी अनुविभागीय अधिकारी पवई और खंड शिक्षा अधिकारी पवई को आवेदन देकर दी है। वहीं ग्राम सरपंच का कहना है कि शासन से अब तक कोई राशि स्वीकृत नहीं हुई है, इसलिए मरम्मत कार्य शुरू नहीं हो पाया।
नहर एक साल से क्षतिग्रस्त, कोई समाधान नहीं
स्थानीय जानकारी के अनुसार यह नहर पिछले एक साल से क्षतिग्रस्त है। बीते साल एक बोरी बांध बनाकर अस्थायी रास्ता बनाया गया था, लेकिन इस साल की भारी बारिश ने वह भी बहा दिया है। अब पानी घुटनों से कमर तक आ जाता है। विद्यालय भवन की हालत भी बहुत खराब हो चुकी है जबकि इसे बने सिर्फ तीन साल ही हुए हैं।
जब इस मामले में सिंचाई विभाग के एसडीओ सतीश शर्मा से संपर्क किया गया तो उन्होंने कई बार कॉल करने पर भी फोन नहीं उठाया। यह प्रशासनिक लापरवाही और संवेदनहीनता को दर्शाता है, खासकर तब जब अधिकारी पवई में पदस्थ होने के बावजूद पन्ना में निवास करते हैं।
सरकार की योजनाओं की पोल खोलती जमीनी सच्चाई
जहां एक ओर सरकार डिजिटल शिक्षा और गुणवत्तापूर्ण स्कूलों की बात कर रही है, वहीं इस गांव में बच्चे अपनी जान जोखिम में डालकर स्कूल जाते हैं। यह हालात शिक्षा व्यवस्था की गंभीर स्थिति की ओर इशारा करते हैं। अगर जल्द ही समाधान नहीं निकाला गया तो यहां की पढ़ाई, बच्चों का भविष्य और जान—तीनों संकट में पड़ सकते हैं।
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