भोपाल से उठा शिक्षा और अधिकारों का गंभीर मुद्दा अब दिल्ली की दहलीज़ पर पहुँच चुका है।
कांग्रेस प्रवक्ता विवेक त्रिपाठी ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) में एक औपचारिक शिकायत दर्ज कराई है, जिसमें मध्यप्रदेश के निजी स्कूलों द्वारा की जा रही मनमानी, अवैध वसूली और शोषण को उजागर किया गया है।
त्रिपाठी ने मानवाधिकार आयोग के माननीय सदस्य प्रियांक कानूनगो से भेंट कर विस्तृत दस्तावेज सौंपे और सख्त कार्रवाई की मांग की।
शिकायत की मुख्य माँगें:
- उच्चस्तरीय जाँच एवं FIR:
• प्रदेश के सभी निजी स्कूलों की कार्यप्रणाली और आर्थिक व्यवहार की उच्च स्तरीय जांच कराई जाए।
• दोषी स्कूल प्रबंधन के खिलाफ FIR दर्ज हो। - अवैध वसूली और कमीशनखोरी पर रोक:
• एडमिशन से लेकर किताबें, कॉपी, ड्रेस तक में हो रही बेतहाशा वसूली, कमीशनबाज़ी, और व्यावसायिक शोषण पर तत्काल रोक लगे। - बच्चों के स्वास्थ्य के साथ हो रहे खिलवाड़ की जाँच:
• घटिया भोजन, खराब खेल संसाधन और मानसिक तनाव जैसे मुद्दों पर स्वास्थ्य आयोग और बाल आयोग से संयुक्त निरीक्षण हो। - अभिभावक संरक्षण की गारंटी:
• प्रत्येक स्कूल में सशक्त पालक संघ (Parent Association) को अनिवार्य किया जाए।
• शोषण या दबाव की स्थिति में सीधे शासन/आयोग से संपर्क की व्यवस्था बने। - एनसीईआरटी किताबों को अनिवार्य किया जाए:
• CBSE/MP बोर्ड के छात्र-छात्राओं को निजी प्रकाशनों की महंगी किताबों से छुटकारा मिले, इसके लिए N.C.E.R.T. को पाठ्यक्रम का मूल स्रोत बनाया जाए।
विवेक त्रिपाठी का बयान:
❝ शिक्षा अब सेवा नहीं, एक मुनाफे का धंधा बन चुकी है। बच्चों और माता-पिता का मानसिक, आर्थिक और भावनात्मक शोषण हो रहा है। यह सीधा मानवाधिकार उल्लंघन है, और अब इसे राष्ट्रीय स्तर पर उठाने का समय आ गया है। ❞
विश्लेषण:
• यह मुद्दा केवल मध्यप्रदेश तक सीमित नहीं, बल्कि देशभर में निजी शिक्षा के नाम पर हो रहे शोषण की ओर एक कठोर संकेत है।
• यदि आयोग द्वारा प्रभावी कार्रवाई होती है, तो यह राष्ट्रव्यापी स्कूल सुधार अभियान की शुरुआत मानी जा सकती है।
क्या हो अगला कदम?
• आयोग द्वारा जाँच समिति गठित की जा सकती है।
• संबंधित शिक्षा विभाग, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, और उपभोक्ता अधिकार निकायों को नोटिस भेजे जा सकते हैं।
समापन वाक्य:
भोपाल से उठी यह आवाज़ अब राष्ट्रीय स्तर पर गूंज रही है। यह देखना दिलचस्प होगा कि मानवाधिकार आयोग शिक्षा में शोषण और लूट की इस लहर पर क्या ऐतिहासिक निर्णय लेता है।
अगर आप माता-पिता हैं या अभिभावक – इस मुहिम का हिस्सा बनें और अपने अनुभव पब्लिक फर्स्ट के साथ साझा करें।
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