पब्लिक फर्स्ट। भोपाल । सुनील मालवीय ।
मध्यप्रदेश में शिक्षा के क्षेत्र में तेजी से हो रहे बदलावों और प्रगति पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने राष्ट्रीय कार्यशाला के दौरान कई अहम बातें साझा कीं। उन्होंने प्रदेश में विश्वविद्यालयों की संख्या, शिक्षा की गुणवत्ता, और प्रशासनिक सुधारों पर विशेष प्रकाश डाला।
70 से अधिक विश्वविद्यालयों का नेटवर्क
मुख्यमंत्री ने बताया कि वर्तमान में मध्यप्रदेश में 70 से अधिक विश्वविद्यालय सक्रिय रूप से कार्य कर रहे हैं, जो राज्य को शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी बना रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह हमारे लिए गर्व की बात है कि देश के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में से एक, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) ने भी मध्यप्रदेश के शोध कार्यों और शिक्षा मॉडलों को अपनाया है।
‘कुलगुरु’ का पदनाम अपनाया गया
कार्यशाला में मुख्यमंत्री ने यह जानकारी भी दी कि अब विश्वविद्यालय प्रमुख का पारंपरिक और भारतीय सांस्कृतिक पहचान को ध्यान में रखते हुए, ‘वाइस चांसलर’ के स्थान पर ‘कुलगुरु’ शब्द का उपयोग किया जाएगा। यह न केवल हमारी सांस्कृतिक जड़ों को मजबूती देगा, बल्कि प्रशासनिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण बदलाव लाएगा।
गुणवत्ता और सुझावों पर जोर
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कार्यशाला में भाग ले रहे विद्वानों का स्वागत करते हुए कहा कि इस प्रकार की शैक्षणिक कार्यशालाएं संवाद, सुझाव और समन्वय का माध्यम बनती हैं, जिससे न केवल नीतियों को मजबूती मिलती है, बल्कि युवाओं के लिए नए अवसर भी सृजित होते हैं।
राज्य सरकार की प्रतिबद्धता
कार्यशाला के दौरान मुख्यमंत्री ने यह भी आश्वासन दिया कि सरकार शिक्षा नीति को और अधिक प्रभावी और समावेशी बनाने के लिए निरंतर कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि युवाओं के भविष्य को उज्जवल बनाने के लिए हर आवश्यक कदम उठाया जाएगा।
नोट:
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का यह संबोधन मध्यप्रदेश को एक शिक्षित, संस्कारी और नवाचार युक्त राज्य के रूप में स्थापित करने की दिशा में मजबूत कदम माना जा रहा है। राज्य सरकार की इस सक्रियता से शिक्षा क्षेत्र में निश्चित ही सकारात्मक बदलाव देखने को मिलेंगे।
