पब्लिक फर्स्ट। भोपाल । पुनीत पटेल।

मध्यप्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र में एक ऐतिहासिक क्षण सामने आया, जब जबलपुर उत्तर मध्य क्षेत्र के विधायक डॉ. अभिलाष पाण्डेय ने संस्कृत भाषा के संरक्षण और संवर्धन से संबंधित ध्यानाकर्षण प्रस्ताव संस्कृत भाषा में ही प्रस्तुत किया। यह मध्यप्रदेश विधानसभा के इतिहास में पहला मौका था, जब कोई विधायक देवभाषा संस्कृत में इतना महत्वपूर्ण विषय सदन में लेकर आया।

इस विशेष अवसर पर प्रतिक्रिया देते हुए स्कूल शिक्षा मंत्री श्री उदय प्रताप सिंह ने भी संस्कृत भाषा में उत्तर दिया और सरकार द्वारा किए जा रहे संस्कृत संवर्धन प्रयासों की जानकारी दी।

विधायक डॉ. अभिलाष पाण्डेय का आग्रह

डॉ. पाण्डेय ने कहा कि मध्यप्रदेश की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत में संस्कृत भाषा की प्रमुख भूमिका है। उन्होंने कहा कि संस्कृत को केवल विषय नहीं, बल्कि व्यवहारिक और व्यवसायिक भाषा के रूप में विकसित करने की आवश्यकता है।

उन्होंने सुझाव दिया कि:

  • संस्कृत, वैदिक अध्ययन, योग, ज्योतिष, और रत्न विज्ञान को व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में शामिल किया जाए।
  • संस्कृत बोलने को प्रोत्साहित किया जाए।
  • प्रत्येक वर्ष संस्कृत और संस्कृति सप्ताह आयोजित किया जाए।

सरकार के प्रयास और उपलब्धियां

मंत्री उदय प्रताप सिंह ने बताया कि:

  • वर्ष 2008 में महर्षि पतंजलि संस्कृत संस्थान की स्थापना की गई।
  • उज्जैन स्थित महर्षि पाणिनि संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय में 900 विद्यार्थी अध्ययनरत हैं।
  • विश्वविद्यालय से संबद्ध 9 महाविद्यालयों में लगभग 8000 छात्र-छात्राएं संस्कृत की पढ़ाई कर रहे हैं।

आवासीय छात्रों को छात्रवृत्ति दी जा रही है:

  • कक्षा 5–8 तक: ₹8,000 प्रति वर्ष
  • कक्षा 9–12 तक: ₹10,000 प्रति वर्ष
  • 2014 में संस्कृत विद्यालयों की संख्या 34 थी, जो आज बढ़कर 371 हो गई है।
  • विश्वविद्यालयों में नवाचार के तहत “कुलपति” के स्थान पर “कुलगुरु” का संबोधन प्रचलन में लाया गया है।

सांस्कृतिक संरक्षण की दिशा में ऐतिहासिक कदम

संस्कृत में ध्यानाकर्षण प्रस्ताव और उसका संस्कृत में ही उत्तर देना, मध्यप्रदेश की विधानसभा में भाषा और परंपरा के संरक्षण का एक अनूठा उदाहरण बन गया। यह प्रयास आने वाली पीढ़ियों में संस्कृत के प्रति जागरूकता और भाषायी गौरव को सशक्त करेगा।

publicfirstnews.com

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