सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 पर हालिया अंतरिम आदेश दिया है। इस आदेश को लेकर बड़ा सवाल उठ रहा है कि
यह जीत हिन्दू पक्ष की है या मुस्लिम पक्ष की?
आदेश का सार
- पूरे वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 पर Stay (रोक) लगाने से सुप्रीम कोर्ट ने इंकार कर दिया।
- कुछ विवादास्पद प्रावधानों पर अस्थायी रोक लगाई गई, जैसे—
• 5 साल तक “इस्लाम का अभ्यास” करने की शर्त। - • सरकार को वक्फ संपत्ति को सीधे डि-नोटिफाई करने का अधिकार।
- 3. वक्फ बोर्ड और काउंसिल की संरचना (मुख्य रूप से मुस्लिम-नेतृत्व) को कायम रखा गया।
- 4. गैर-मुस्लिम सदस्यों की संख्या सीमित कर दी गई।
- 5. वक्फ बोर्ड CEO पद पर गैर-मुस्लिम नियुक्ति की अनुमति तो बरकरार है, लेकिन सुझाव दिया गया कि जहाँ संभव हो मुस्लिम ही हों।
- कुछ विवादास्पद प्रावधानों पर अस्थायी रोक लगाई गई, जैसे—
हिन्दू पक्ष का दावा क्या था?
• पूरा संशोधित वक्फ एक्ट असंवैधानिक घोषित हो।
• हिन्दू संपत्तियों को वक्फ घोषित करने पर रोक लगे।
• डि-नोटिफिकेशन (वक्फ संपत्ति हटाने) का अधिकार सरकार के पास हो, ताकि तेज़ी से संपत्तियाँ मुक्त कराई जा सकें।
क्या मिला?
• पूरे एक्ट पर रोक नहीं लगी।
• संपत्ति डि-नोटिफिकेशन का अधिकार सरकार को नहीं, बल्कि कोर्ट/ट्रिब्यूनल को दिया गया।
• केवल कुछ प्रावधान (जैसे 5 साल वाला नियम) रोके गए।
इसका मतलब — हिन्दू पक्ष की बड़ी मांगें खारिज हो गईं। केवल आंशिक राहत मिली।
मुस्लिम पक्ष का दावा क्या था?
• संशोधित वक्फ एक्ट पूरी तरह लागू रहे।
• वक्फ संपत्तियों पर नियंत्रण और बोर्ड की संरचना मुस्लिम नेतृत्व में बनी रहे।
• सरकार को डि-नोटिफिकेशन का सीधा अधिकार न मिले।
क्या मिला?
• पूरा कानून अभी भी कायम है।
• वक्फ बोर्ड और वक्फ संपत्तियों का अधिकार मुस्लिम नेतृत्व के हाथ में बरकरार है।
• डि-नोटिफिकेशन का अधिकार सरकार से वापस लेकर कोर्ट/ट्रिब्यूनल को सौंप दिया गया।
इसका मतलब — मुस्लिम पक्ष की मुख्य माँगें कायम रहीं। केवल कुछ प्रावधान अस्थायी रूप से रोके गए।
साफ विश्लेषण : जीत किसकी?
• हिन्दू पक्ष:
• केवल आंशिक राहत मिली।
• बड़ी कानूनी जीत (पूरे एक्ट पर रोक, वक्फ संपत्तियों को मुक्त कराना) नहीं मिली।
• इसलिए निर्णायक जीत नहीं।
• मुस्लिम पक्ष:
• पूरा कानून अभी भी लागू।
• वक्फ संपत्तियों और बोर्ड की संरचना बरकरार।
• सरकार का डि-नोटिफिकेशन अधिकार रोका गया, जिससे मुस्लिम पक्ष को बड़ा राहत मिला।
• इसलिए वर्तमान में असली जीत मुस्लिम पक्ष की मानी जाएगी।
निष्कर्ष
इस अंतरिम आदेश में निर्णायक जीत मुस्लिम पक्ष की हुई है।
• हिन्दू पक्ष को केवल आंशिक राहत।
• मुस्लिम पक्ष की मुख्य माँगें और संरचना सुरक्षित।
हाँ, अंतिम सुनवाई में तस्वीर बदल सकती है। लेकिन फिलहाल की स्थिति में मुस्लिम पक्ष मजबूत और विजयी है, हिन्दू पक्ष को इंतज़ार और लंबी कानूनी लड़ाई करनी होगी।
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