ईसाई धर्म में तीन बड़े संप्रदाय हैं और सैकड़ो उप संप्रदाय ।

•   कैथोलिक (Catholic)
•   प्रोटेस्टेंट (Protestant)
•   ऑर्थोडॉक्स (Orthodox)

इनके अलावा कुछ अन्य प्रमुख शाखाएँ भी हैं जैसे प्राच्य रूढ़िवादी (Oriental Orthodox), पुनर्स्थापनवादी (Restorationist), और पूर्व की कलीसिया (Church of the East).

  1. कैथोलिक (Catholic): • सबसे बड़ा संप्रदाय, जिसका केंद्र रोम (वेटिकन) में है।
    • पोप को सर्वोच्च धर्मगुरु मानते हैं। • उप-सम्प्रदाय: रोमन कैथोलिक, पूर्वी कैथोलिक चर्च (जैसे मारोनाइट, सिरियाक, मेलकाइट आदि).
  1. ऑर्थोडॉक्स (Orthodox):
    • दो मुख्य शाखाएँ: • पूर्वी ऑर्थोडॉक्स (Eastern Orthodox): रूसी, ग्रीक, सर्बियन, बुल्गारियन आदि। • प्राच्य ऑर्थोडॉक्स (Oriental Orthodox):

कॉप्टिक (मिस्र), अर्मेनियन, सिरियन, इथियोपियन आदि।
• ये रोम के पोप की सर्वोच्चता नहीं मानते, अपने-अपने क्षेत्रीय पैट्रिआर्क को मानते हैं.

  1. प्रोटेस्टेंट (Protestant): • 16वीं सदी के धर्म सुधार (Reformation) के बाद बना।
    • पोप की सर्वोच्चता नहीं मानते, बाइबिल को सर्वोच्च मानते हैं। • उप-सम्प्रदाय: • लूथरन, कैल्विनिस्ट (रेफॉर्म्ड), एंग्लिकन (चर्च ऑफ इंग्लैंड), बैपटिस्ट, मेथोडिस्ट, प्रेस्बिटेरियन, पेंटेकोस्टल, एडवेंटिस्ट, क्वेकर, मेनोनाइट, आदि। • प्रोटेस्टेंट संप्रदायों के भीतर सैकड़ों छोटे-छोटे चर्च और उप-सम्प्रदाय हैं.
  1. पुनर्स्थापनवादी (Restorationist):
    • 19वीं सदी में बने, जैसे मॉर्मन (LDS Church), जेहोवा विटनेस, सेवेंथ डे एडवेंटिस्ट आदि.
  2. पूर्व की कलीसिया (Church of the East):
    • ऐतिहासिक रूप से फारस और एशिया में फैली, जैसे असिरियन चर्च.
  • इतने संप्रदाय/उप-संप्रदाय कैसे बने?

  • नेतृत्व और अधिकार:
  • पोप की सर्वोच्चता, क्षेत्रीय पैट्रिआर्क या बिशप की भूमिका पर मतभेद।
  • • धार्मिक सिद्धांत:
  • बाइबिल की व्याख्या, संस्कारों (Sacraments), उद्धार (Salvation), और धार्मिक परंपराओं में भिन्नता। •
  • भाषा और संस्कृति:
  • अलग-अलग देशों, भाषाओं और संस्कृतियों में धर्म के प्रसार से स्थानीय परंपराएँ जुड़ गईं।
  • • धर्म सुधार (Reformation):
  • 16वीं सदी में मार्टिन लूथर, जॉन कैल्विन आदि ने चर्च की नीतियों का विरोध किया, जिससे प्रोटेस्टेंट शाखा बनी।
  • • राजनीतिक और सामाजिक कारण:
  • अलग-अलग देशों के शासकों और समाजों ने अपने-अपने तरीके से ईसाई धर्म को अपनाया और उसमें बदलाव किए।
  • • बाइबिल की व्याख्या:
  • बाइबिल के विभिन्न अंशों की अलग-अलग व्याख्याओं के कारण नए-नए उप-सम्प्रदाय बने.

निष्कर्ष:
ईसाई धर्म में सैकड़ों-हजारों उप-सम्प्रदाय हैं । इनका विभाजन नेतृत्व, सिद्धांत, परंपरा, भाषा, संस्कृति और बाइबिल की व्याख्या के आधार पर हुआ है । तो अगली बार अगर कोई हिन्दू धर्म को कोसें तो उन्हें ये आईना दिखाना मत भूलना ।

publicfirstnews.com

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