भारत सरकार द्वारा चलाए जा रहे डिजिटल इंडिया लैंड रिकॉर्ड मॉडर्नाइजेशन प्रोग्राम (DILRMP) को लेकर आज लखनऊ में एक अहम प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया।
इस दौरान भूमि संसाधन विभाग के केंद्रीय सचिव मनोज जोशी ने मीडिया को संबोधित करते हुए कार्यक्रम की प्रगति और भविष्य की दिशा पर विस्तार से जानकारी दी।


डिजिटलीकरण की दिशा में नया अध्याय

प्रेस वार्ता में बताया गया कि देशभर में भूमि रिकॉर्ड को पारदर्शी, सटीक और डिजिटल बनाने के लिए सरकार तेजी से काम कर रही है।
विशेष रूप से गांवों के नक्शों का डिजिटलीकरण और ड्रोन तकनीक से भूमि सर्वेक्षण जैसे अत्याधुनिक उपाय अपनाए जा रहे हैं।

मनोज जोशी ने कहा:

“ड्रोन सर्वेक्षण तकनीक से न केवल भूमि का सटीक रिकॉर्ड तैयार होगा, बल्कि इससे संपत्ति विवादों में भी भारी कमी आएगी। ये कदम ग्रामीण भारत में ‘संपत्ति अधिकार’ को मजबूत करने की दिशा में क्रांतिकारी साबित होंगे।”


नक्शा पायलट प्रोग्राम और शहरी लैंड रिकॉर्ड पर ध्यान

प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान भारत सरकार के नक्शा पायलट कार्यक्रम पर भी विस्तृत जानकारी दी गई।
इस पहल के तहत गांवों और कस्बों की जमीनों का डिजिटल नक्शा और अभिलेख तैयार किया जा रहा है ताकि हर नागरिक को उसकी भूमि से जुड़ा एक स्पष्ट, मान्यता प्राप्त दस्तावेज़ मिल सके।

इसके साथ ही उत्तर प्रदेश के शहरी क्षेत्रों के लैंड रिकॉर्ड डिजिटलीकरण को लेकर भी राज्य सरकार से सहयोग पर चर्चा की गई।


राजस्व परिषद की भागीदारी

इस महत्वपूर्ण प्रेस वार्ता में उत्तर प्रदेश राजस्व परिषद के अध्यक्ष अनिल कुमार भी उपस्थित रहे। उन्होंने राज्य में चल रही भूमि रिकॉर्ड सुधार परियोजनाओं पर संतोष जताया और केंद्र के साथ मिलकर इसे और तेज़ी से लागू करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की।


निष्कर्ष:

पारदर्शी भूमि प्रशासन की ओर भारत का कदम

इस प्रेस कॉन्फ्रेंस से यह स्पष्ट हुआ कि भारत सरकार पारंपरिक राजस्व प्रणाली से निकलकर तकनीक आधारित, पारदर्शी और विश्वसनीय भूमि रिकॉर्ड प्रणाली की ओर तेज़ी से अग्रसर है।
डिजिटल इंडिया लैंड रिकॉर्ड मॉडर्नाइजेशन प्रोग्राम के तहत यह पहल देश के हर नागरिक को भूमि अधिकार से जोड़ने और संपत्ति विवादों को कम करने में मददगार सिद्ध होगी।

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