मंडला और डिण्डौरी के बीच निर्माणाधीन सड़क परियोजना एक बार फिर स्थानीय लोगों की परेशानी और नाराज़गी का कारण बन गई है। दो साल से जारी यह प्रोजेक्ट अब “विकास” के बजाय “दूर्-विकास” का पर्याय बनता जा रहा है। सड़क निर्माण की धीमी गति, अधूरे ढांचे, निम्न गुणवत्ता और सुरक्षा मानकों की अनदेखी ने लोगों के दैनिक जीवन को प्रभावित करना शुरू कर दिया है।
लोगों का कहना है कि हर मंच से विकास के दावे किए जाते हैं, पर ज़मीनी हकीकत इसके बिल्कुल उलट है। सड़क के नाम पर गड्ढे, धूल, अधूरी पुलिया, टूटी नालियां और बंद पड़ी मशीनें ही दिखाई देती हैं। मंडला सीमा में प्रवेश करते ही सड़क का काम लगभग ठप पड़ चुका है, जबकि डिण्डौरी तरफ़ से निर्माण कार्य अपेक्षाकृत बेहतर गति से आगे बढ़ रहा है। लेकिन पूरे मार्ग की स्थिति अब भी सामान्य यातायात के लिए उपयुक्त नहीं है।
अधूरी नालियां और पुलिया बनी परेशानी
सड़क किनारे बनाई जा रही नालियों में घटिया निर्माण की शिकायतें लगातार सामने आ रही हैं। कई जगहों पर नालियां टूट चुकी हैं और बरसात में पानी भरने से आसपास की बस्तियों में गंदगी फैलने लगी है। वहीं, बीच मार्ग की पुलिया कई महीनों से अधूरी पड़ी है, जिसके कारण वाहन चालकों को वैकल्पिक रास्तों से होकर गुजरना पड़ रहा है।
स्थानीय निवासियों का कहना है कि निर्माण agency की लापरवाही ने यात्रा को जोखिमभरा बना दिया है। छोटे वाहन चालक और स्कूल जाने वाले बच्चों को रोज़ाना परेशानी झेलनी पड़ रही है।
बिजली के पोल टूटने से बढ़ा संकट
कुछ दिनों पहले निर्माण के दौरान JCB और भारी मशीनों की लापरवाही से सड़क किनारे लगे कई बिजली के पोल टूट गए। तार टूटकर सड़क पर गिर गए, जिससे घंटेभर बिजली सप्लाई बाधित रही। क्षेत्र में अंधेरा फैलने के साथ दुर्घटना की आशंका भी बढ़ गई थी।
बिजली विभाग ने निर्माण कंपनी को नुकसान की भरपाई का नोटिस दिया है, लेकिन कंपनी का तर्क है कि यह दुर्घटना “अनजाने में” हुई। विभाग और कंपनी के बीच बढ़ रहा विवाद निर्माण कार्य को और धीमा कर सकता है।
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