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शहडोलः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 1 जुलाई को मध्य प्रदेश के शहडोल संभाग के लालपुर में जनसभा को संबोधित करने आ रहे हैं। एक सप्ताह के भीतर उनका मध्य प्रदेश का यह दूसरा दौरा है। इतना ही नहीं, तीन महीनों के अंदर वे तीसरी बार मध्य प्रदेश आ रहे हैं। एमपी में करीब पांच महीने बाद विधानसभा चुनाव होने हैं। इसलिए उनकी यात्राओं को चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है। खासकर इसलिए कि शहडोल आदिवासी बहुल जिला है और बीजेपी इस समुदाय को साधने के लिए लगातार प्रयास कर रही है।
पीएम मोदी इससे पहले अप्रैल महीने में भोपाल और रीवा आ चुके हैं। तीन दिन पहले ही वे दोबारा भोपाल में आयोजित कार्यक्रम में शामिल हुए थे। शनिवार को होने वाले कार्यक्रम में वे रानी दुर्गावती गौरव यात्रा का समापन करेंगे। रानी दुर्गावती गौरव यात्रा बालाघाट, छिंदवाड़ा, दमोह के सिंग्रामपुर, उत्तर प्रदेश के कलिंजर फोर्ट, सीधी के धौहनी से 22 जून को शुरू हुई थी। बालाघाट से होती हुई ये यात्रा बेहर, डिंडोरी, बिछिया, अनूपपुर, पुष्पराजगढ़ होते हुए शहडोल पहुंची है। अब एक जुलाई को प्रधानमंत्री इन यात्राओं का समापन करेंगे। इस सभा के माध्यम से आदिवासियों को साधने की कोशिश की जा रही है।
आदिवासी बहुल है शहडोल जिला
शहडोल संभाग अनुसूचित जनजाति बहुल क्षेत्र है। इसलिए भाजपा यहां अपनी पैठ बनाना चाहती है। वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 47 में से 37 जनजतीय सीटों पर कब्जा जमाया था और लगातार तीसरी बार मध्य प्रदेश की सत्ता हासिल की थी। हालांकि, 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 31 सीटों पर जीत मिली थी, जबकि भाजपा 16 सीटों पर सिमट गई थी। इसका नतीजा यह हुआ था कि भाजपा को मध्य प्रदेश की सत्ता गंवानी पड़ी थी।
आदिवासी सीटों पर पिछड़ गई थी भाजपा
चुनाव में भाजपा को 41.02 प्रतिशत वोट के साथ 109 सीटें मिली थी, जबकि कांग्रेस को 40.89 प्रतिशत वोट के साथ 114 सीटें मिली थी। साफ है कि इस चुनाव में जनजातीय वोट कम मिलने के कारण भाजपा को हार का सामना करना पड़ा था। हालांकि डेढ़ साल बाद जोड़-तोड़ करके भाजपा ने दोबारा सरकार बना ली थी। अब भाजपा नहीं चाहती कि 2023 के विधानसभा चुनाव में भी उसका यही हश्र हो। इसीलिए प्रधानमंत्री बार-बार अनुसूचित जनजाति और अनुसूचित जाति बहुल क्षेत्रों का दौरा कर रहे हैं।
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