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इस बार भाद्रपद की अमावस्या (कुशग्रहणी) दो दिन रहेगी। 14 सितंबर को कुशग्रहणी अमावस और 15 सितंबर को स्नानदान की अमावस रहेगी। इस दिन धर्म-कर्म में इस्तेमाल होने वाली कुश घास सालभर के लिए इकट्ठा करने की परंपरा है। भाद्रपद की अमावस्या पर पितरों के लिए श्राद्ध कर्म भी करना चाहिए।

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, कुश घास का धर्म-कर्म में काफी अधिक महत्व है। माना जाता है। इस घास के साथ पूजा-पाठ करने से भक्तों की मनोकामनाएं जल्दी पूरी होती हैं। श्राद्ध कर्म, तपर्ण जैसे पितरों से जुड़े कामों में कुशा घास की अंगूठी बनाकर पहना जाता है। इसके बाद पितरों के लिए धूप-ध्यान और अन्य कर्म किए जाते हैं। इस तिथि पर कुश घास का संग्रहण किया जाता है, इस कारण इसे कुशग्रहणी अमावस्या कहते हैं।

कुशग्रहणी अमावस्या पर करें ये शुभ काम

अमावस्या पर पितर देवताओं के लिए श्राद्ध कर्म, तर्पण और धूप-ध्यान जरूर करना चाहिए। अमावस्या की दोपहर गाय के गोबर से बने कंडे जलाएं और अंगारों पर गुड़-घी डालकर पितरों का ध्यान करें। हथेली में जल लेकर अंगूठे की ओर से पितरों को अर्पित करें। इस दिन परिवार के मृत सदस्यों के लिए पिंडदान भी किया जा सकता है। माना जाता है कि अमावस्या पर किए गए इन शुभ कामों से पितर देवता तृप्त होते हैं। दरअसल, ये परंपरा घर-परिवार के मृत सदस्यों को याद करने के लिए बनाई गई है।

पुरानी परंपरा है कि अमावस्या पर पवित्र नदियों में स्नान-दान करना चाहिए। अगर हमारे शहर के आसपास पवित्र नदी नहीं है तो हम घर पर ही पानी में थोड़ा सा गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते हैं। स्नान करते समय पवित्र नदियों का ध्यान करना चाहिए। स्नान के बाद घर के आसपास ही जरूरतमंद लोगों को दान-पुण्य करें।

भाद्रपद की अमावस्या पर कुश घास इकट्ठा की जाती है। ध्यान रखें जो कुश घास इकट्ठा कर रहे हैं, उसमें पत्तियां अच्छी हों, आगे का भाग कटा न हो और हरा हो। ऐसी कुश देवताओं और पितर देवों के पूजन कर्म के लिए श्रेष्ठ होती है। कुश घास इकट्ठा करने के लिए सूर्योदय के बाद का समय सबसे अच्छा माना जाता है।

कुश के आसन पर बैठकर करनी चाहिए पूजा

कुश के बने आसन पर बैठकर पूजा-पाठ करने का विशेष महत्व है। पूजा-पाठ करते समय हमारे शरीर में आध्यात्मिक ऊर्जा बढ़ने लगती है। अगर हम सीधे जमीन पर बैठकर पूजा करते हैं तो ये ऊर्जा जमीन में समा जाती है, लेकिन अगर हम कुश के आसन पर बैठकर पूजा करते हैं तो ये ऊर्जा हमारे शरीर में ही रहती है। माना जाता है कि कुश के आसन पर बैठकर मंत्र जप करने से मंत्र जल्दी सिद्ध हो जाते हैं।

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