पब्लिक फर्स्ट । भोपाल ।
मध्यप्रदेश में समाजवादी पार्टी को राजनीतिक जमीन जरा कम ही मिलती है, फिर भी वह चुनावों में कांग्रेस और बीजेपी के बाद तीसरी बड़ी पार्टी बनने का लगातार प्रयास कर रही है। अखिलेश यादव के नेतृत्व में सपा ने मेहनत करते हुए इस मुकाबले में अपनी स्थिति पहले से काफी मजबूत करने का प्रयास किया है, लेकिन कांग्रेस ने उनकी स्थिति को कमजोर करने के लिए सीटें नहीं दीं हैं। यह कहना है समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव का।
मध्यप्रदेश में बीजेपी और कांग्रेस के बीच हमेशा कांटे की टक्कर रहती है, लेकिन आगामी 17 नवंबर को होने वाले चुनाव में सपा ने भी अपनी भूमिका को महत्त्वपूर्ण बनाया है। वैसे तो सपा का असर मध्यप्रदेश में कम है, लेकिन पार्टी बुंदेलखंड और उत्तर प्रदेश की सीमा से लगे क्षेत्रों में विशेष रूप से मजबूत है। सपा ने 2003 के चुनाव में अच्छा प्रदर्शन किया और उस समय सात विधायकों को चुनकर विधानसभा में प्रवेश किया था।
राजनीतिक पंडितों के अनुसार, समाजवादी पार्टी यूपी की सीमा से सटे विंध्य और बुंदेलखंड क्षेत्रों में अपनी प्रभुता स्थापित करने में जुटी हुई है। बुंदेलखंड क्षेत्र में 26 विधानसभा सीटें हैं, जो इटावा से लेकर उप्र बेल्ट में स्थित हैं। भिंड और चंबल संभाग में सपा का कुछ प्रभाव है। 2018 में चुनावी आंकड़ों को देखें तो चुनाव में कांग्रेस बड़ी पार्टी तो बनी, लेकिन बहुमत से दूर रही। कांग्रेस ने बसपा और सपा के साथ मिलकर सरकार बनाई। पिछले चुनाव में सपा को सीट के साथ 1.30 फीसदी वोट मिला था।
समाजवादी पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि मध्य प्रदेश में कांग्रेस ने सपा को सीटें नहीं दीं और पार्टी की उपेक्षा की। जैसा की आप जानते ही है कमलनाथ ने राष्ट्रीय अध्यक्ष के बारे में बेरुखी से बोलते हुए कहा, ‘अरे भाई छोड़ो अखिलेश-वखिलेश’। इसके बावजूद, कांग्रेस ने हमारे सहाय से कई बार अपनी सरकार बचाई है।