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एजेंसियों का दावा-रबी सीजन में 5.40 लाख टन यूरिया बांटा जा चुका

हर साल की तरह रबी के मौसम में कुछ दिनों पहले तक किसानों को खाद के लिए लंबी-लंबी लाइनों में लगना पड़ रहा था। हालांकि सरकारी एजेंसियों का दावा है कि अब तक रबी सीजन में 5.40 लाख टन यूरिया बांटा जा चुका है। बीते 5 सालों के आंकड़ें देखें तो फर्टिलाइजर की सप्लाई एमपी में दोगुनी हुई है फिर भी हर साल खाद की किल्लत होती है।

साल 2017-18 में जहां रबी के मौसम में फर्टिलाइजर की सप्लाई 10.08 लाख टन थी, वहीं 2022-23 में ये बढ़कर 19.89 एलटी हो गई, यानी सप्लाई लगभग दोगुनी हो गई। साल 2023 -24 में ताजे आंकड़ों के मुताबिक 5.40 लाख टन यूरिया की सप्लाई हो चुकी है। जो मौसम के अंत तक 13.5 एलटी होने की सम्भावना है। फिर भी नवम्बर के महीनों में प्रदेश भर में सहकारी सोसाइटियों के बाहर किसानों को लंबी लंबी कतारों में लगना पड़ा।

हाल के दिनों में भी छतरपुर, मुरैना, दतिया, शिवपुरी, नरसिंहपुर, सतना, भोपाल के कई हिस्सों, सहित कई जिलों में यूरिया-डीएपी की कमी देखी गई है।

डिमांड -सप्लाई में अंतर-जानकारों के मुताबिक नवंबर तक प्रदेश में 96 लाख हेक्टेयर में बोवनी हो गई। इसमें से सिर्फ नवंबर माह के लिए ही करीब 7 लाख टन यूरिया और 1.5 लाख टन डीएपी की जरूरत रही पर सप्लाई इससे काफी कम रही।

किसान संगठनों का दावा – वितरण नेटवर्क ठीक नहीं

भारतीय किसान संघ के अखिल भारतीय कार्यकारी अध्यक्ष रामभरोसे बासोतिया के मुताबिक सरकार आज तक मांग का आंकलन करके वितरण का सिस्टम नहीं बना पाई। वहीं कांग्रेस किसान प्रकोष्ठ के अध्यक्ष केदार सिरोही ने कहा कि खाद वितरण का सिस्टम जान बूझकर ऐसे बनाते हैं ताकि कालाबाजारी हो। कृषि विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने भी कहा कि कीमतें कम होने से लोग स्टॉक कर लेते हैं।

खरीफ में डेढ़ गुनी हुई सप्लाई (लाख टन )

खाद 2017-18 2018-19 2019-20 2020-21 2021-22 2022-23

यूरिया 4.88 4.98 6.22 7.85 5.71 7.39

डीएपी 3.97 4.27 3.65 5.48 4.52 4.95

एनपीके 0.95 0.88 0.90 1.31 0.96 1.63

जहां बोवनी देर से वहां खाद की कमी का असर- विंध्य के रीवा, सतना और छतरपुर, दतिया सहित कई जिलों में जहां बोवनी देर से होती है, वहां पर खाद की कमी से और देरी हो रही है। इससे उपज पर भी असर पड़ेगा। यूरिया की डिमांड मार्च तक रहेगी।

70% सप्लाई मार्कफेड से, 30% व्यापारियों से

प्रदेश में खाद की सप्लाई बड़ी मात्रा में (मार्कफेड से लेकर) सहकारी समितियों में क्रेडिट के माध्यम से होती है। बाकी मार्कफेड की समितियों और वेयरहाउस से नकद होती है। नकद में वो किसान लेते हैं जो समितियों के डिफाल्टर हैं या वहां सदस्य नहीं हैं। व्यापारियों से जो बिक्री होती है उनपर किसी तरह का निगरानी मैकेनिज्म नहीं है।

5 सालों में दोगुनी हुई खाद की सप्लाई

रबी सीजन में सप्लाई (लाख टन)

खाद 2017-18 2018-19 2019-20 2020-21 2021-22 2022-23

यूरिया 6.04 7.81 10.99 8.14 9.46 11.78

डीएपी 2.31 3.22 2.80 2.67 3.39 4.58

एनपीके 0.65 0.85 1.06 0.63 1.67 1.75 publicfirstnews.com

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