पब्लिक फर्स्ट। भोपाल।
भाजपा के यादव Vs राजद के यादव
करीब तीन दशक से राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद के एमवाई समीकरण से वाई समीकरण यानी यादवो का रुख भाजपा की तरफ मोड़ने को ले कर अक्सर नए-नए प्रयोग किए जाते रहे हैं । पर यादवों का बड़ा हिस्सा तमाम कोशिशो के बावजूद यादवों के साथ ही रहा। लेकिन इस बार, भाजपा ने लालू के हथियार की काट एक नए प्रयोग के जरिये की है। दरअसल, बीजेपी कार्यकर्ताओं में उत्साह भरने के लिए मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव को बिहार की धरा पर उतारने जा रही है। यह कितना कारगर होगा। ये लोकसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद ही पता चलेगा।
पटना में मोहन यादव का सम्मान से बड़ा संदेश
बिहार प्रदेश भाजपा एमपी के सीएम मोहन यादव के सम्मान में पटना में एक कार्यक्रम रखने जा रही है। इस सम्मान समारोह का आयोजन करने को तो श्रीकृष्ण चेतना मंच कर रही है। पर इनकी पीठ पर भाजपा के रणनीतिकारों ने हाथ रखा हुआ है। चुनावी जीत के समीकरण में यादव मतों में सेंधमारी का एक रास्ता बनाने को मुख्यमंत्री मोहन यादव को बुलाया जा रहा है। वहां भी ये संदेश देने के लिए कि भाजपा यादव को मुख्यमंत्री भी बना सकती है।
18 जनवरी को पटना में बड़ा कार्यक्रम
मिली जानकारी के मुताबिक मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव 18 जनवरी को पटना आ रहे हैं। पटना हवाई अड्डा से मोहन यादव श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल जायेंगे। यहां उन्हें श्री कृष्ण चेतना मंच द्वारा सम्मानित किया जायेगा। यहां से वे भाजपा कार्यालय जाएंगे और फिर वही से इसके बाद इस्कॉन मंदिर जाएंगे। यादव मतों सेंधमारी को ले कर अन्य राज्यों से आए भरी भरकम नेता शरद यादव, भूपेंद्र यादव और अब एमपी के सीएम मोहन यादव कितना प्रभाव डाल पाएंगे यह तो आने वाला समय बताएगा।
क्या राजद को छोड़ेंगे यादव
ऐसा नहीं कि भाजपा के भीतर यादव नेताओं की संख्या नहीं बढ़ी। भाजपा की भाजपा को जगदंबी यादव, हुकुमदेव नारायण यादव, नंदकिशोर यादव, रामकृपाल यादव, अशोक यादव, ओमप्रकाश यादव, रामसूरत राय, नवल किशोर यादव सरीखे कद्दावर नेता तो मिले पर ये ऐसे नेता नहीं, जो वोट को किसी अन्य जाति के भाजपा उम्मीदवार की तरह ट्रांसफर करा सकें। अभी भी यादवों की पहली पसंद राष्ट्रीय जनता दल और बतौर नेता लालू प्रसाद यादव ही बने हुए हैं। अब देखना यह है कि एमपी के मोहन यादव प्रदेश भाजपा की मंशा पर कितना खरा उतरते हैं। publicfirstnews.com