डॉ मोहन यादव के पास मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री पद की बागडोर आए हुए अभी एक साल भी पूरा नहीं हुआ है लेकिन इतनी थोड़ी सी अवधि में उन्होंने ऐसे कई फैसले किए हैं जो मील के पत्थर के रूप में अपनी पहचान बना चुके हैं। इसी कड़ी में मुख्यमंत्री ने मध्यप्रदेश की जीवन रेखा पुण्य सलिला नर्मदा के संरक्षण के लिए हाल में ही जो पहल की है उसकी सर्वत्र सराहना हो रही है। विगत दिनों राजधानी भोपाल में प्रदेश में पुण्य सलिला नर्मदा के जल को निर्मल और अविरल प्रवाहमान रखने के उद्देश्य से एक कार्ययोजना तैयार करने हेतु सुशासन भवन में आयोजित राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में अधिकारियों को निर्देश दिए कि नर्मदा नदी के तट पर बसे शहरों और धार्मिक स्थलों एवं उसके आसपास के क्षेत्रों में तत्काल प्रभाव से शराब और मांस का विक्रय रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाए जाएं। मुख्यमंत्री ने कहा कि मां नर्मदा प्रदेश वासियों की अटूट आस्था , श्रद्धा विश्वास का केंद्र हैं। यह एक मात्र नदी है जिसकी श्रद्धालुजन परिक्रमा करते हैं उन श्रद्धालुजनों के लिए मां नर्मदा की परिक्रमा को अधिकाधिक सुविधाजनक बनाने के उद्देश्य से परिक्रमा पथ में जगह जगह संकेतक भी लगाए जाएं और परिक्रमा के मार्ग में आने वाले निर्जन क्षेत्रों मे आश्रमों का निर्माण ताकि परिक्रमा करने वाले श्रद्धालु उसमें विश्राम कर सकें। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह कार्य सरकारी विभागों, स्वयं सेवी संगठनों और आध्यात्मिक मंचों के बीच बेहतर तरीके से किया जा सकता है। मुख्यमंत्री ने मां नर्मदा की परिक्रमा को प्रमुख धार्मिक पर्यटन गतिविधि के रूप में विकसित करने करने के निर्देश भी मुख्यमंत्री द्वारा दिए गए हैं।मुख्यमंत्री के अनुसार नर्मदा नदी के संरक्षण के लिए उद्गम स्थल अमरकंटक पर बसी आबादी को विस्थापित करने और विस्थापितों के लिए वैकल्पिक व्यवस्था करने कीकह योजना पर भी विचार किया जा रहा है। सरकार उद्गम स्थल के आसपास आबादी के विस्तार को रोकने के लिए हरसंभव प्रयास करेगी।
पुण्य सलिला नर्मदा के संरक्षण हेतु आवश्यक कार्ययोजना तैयार करने के उद्देश्य से बुलाई गई इस महत्वपूर्ण मंत्रिमंडलीय बैठक में मोहन यादव ने कहा कि पुण्य सलिला नर्मदा के उद्गम स्थल के आसपास बसी आबादी को विस्थापित कर उनके वैकल्पिक व्यवस्था करने की दिशा में कदम उठाए जाएंगे और यह भी सुनिश्चित करेगी कि नर्मदा नदी के उद्गम स्थल से लेकर प्रदेश की सीमा तक किसी भी बसाहट का सीवेज नर्मदा नदी के जल को दूषित न कर पाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि मां नर्मदा के उद्गम स्थल अमरकंटक के आसपास की गतिविधियों की निगरानी के लिए ड्रोन तकनीक और सेटेलाइट इमेजरी का भी उपयोग किया जाएगा। प्रदेश की जीवनदायिनी मां नर्मदा के उद्गम स्थल के प्रबंधन और पर्यावरण को अमरकंटक विकास प्राधिकरण सर्वोच्च प्राथमिकता देगा। मुख्यमंत्री ने एक ओर जहां ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के लिए नवीनतम तकनीक का उपयोग करने के लिए अधिकारियों को निर्देशित किया वहीं दूसरी ओर नदी में मशीनों से खनन गतिविधियों को प्रतिबंधित करने के लिए कठोर कदम उठाने के निर्देश भी दिए।
मुख्यमंत्री ने बैठक में पुण्य सलिला नर्मदा को महान सांस्कृतिक धरोहर बताते हुए कहा कि उपभोक्ता आधारित जीवनशैली ने प्रकृति और पर्यावरण को जो नुकसान पहुंचाया है उसके दुष्प्रभावों से नदियों और जलस्रोतों को बचाना आवश्यक है और सरकार इसके लिए ठोस कदम रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस दिशा में अन्य प्रभावी उपायों के रूप में सरकार नर्मदा नदी के दोनों ओर पांच किलोमीटर तक प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित करेगी इसके साथ ही जनजातीय बाहुल्य वाले क्षेत्रों में साल व सागौन के पौधरोपण व जड़ी-बूटियों के उत्पादन को बढ़ावा दिया जाएगा।
मध्यप्रदेश की जीवन रेखा के रूप में पुण्य सलिला नर्मदा के संरक्षण के लिए अतीत में भी जोर शोर से महत्वाकांक्षी अभियान प्रारंभ किए गए हैं परन्तु किन्हीं कारणों से वे सुखद परिणिति के बिंदु तक नहीं पहुंच सके । अब जब वर्तमान मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने इस पुनीत अभियान को आगे बढ़ाने का संकल्प लिया है तो तब उनके अभियान की भी सफलता को लेकर सवाल उठने लगे हैं परन्तु जो लोग डॉ मोहन यादव की इच्छा शक्ति , समर्पण और विलक्षण कार्यशैली से परिचित हैं उनकी मानें तो मुख्यमंत्री मोहन यादव एक बार जो फैसले कर लेते हैं उसके संपूर्ण क्रियान्वयन होने तक वे चैन से नहीं बैठते इसलिए इस बार यह उम्मीद की सकती है कि मुख्यमंत्री मोहन यादव ने नर्मदा संरक्षण के लिए जो पुनीत संकल्प लिया है उसकी पूर्ति में उनकी सरकार कोई कसर बाकी नहीं रखेगी।
(लेखक राजनैतिक विश्लेषक है)

इसी कड़ी में मुख्यमंत्री ने मध्यप्रदेश की जीवन रेखा पुण्य सलिला नर्मदा के संरक्षण के लिए हाल में ही जो पहल की है उसकी सर्वत्र सराहना हो रही है। विगत दिनों राजधानी भोपाल में प्रदेश में पुण्य सलिला नर्मदा के जल को निर्मल और अविरल प्रवाहमान रखने के उद्देश्य से एक कार्ययोजना तैयार करने हेतु सुशासन भवन में आयोजित राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में अधिकारियों को निर्देश दिए कि नर्मदा नदी के तट पर बसे शहरों और धार्मिक स्थलों एवं उसके आसपास के क्षेत्रों में तत्काल प्रभाव से शराब और मांस का विक्रय रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाए जाएं। मुख्यमंत्री ने कहा कि मां नर्मदा प्रदेश वासियों की अटूट आस्था , श्रद्धा विश्वास का केंद्र हैं।

यह एक मात्र नदी है जिसकी श्रद्धालुजन परिक्रमा करते हैं उन श्रद्धालुजनों के लिए मां नर्मदा की परिक्रमा को अधिकाधिक सुविधाजनक बनाने के उद्देश्य से परिक्रमा पथ में जगह जगह संकेतक भी लगाए जाएं और परिक्रमा के मार्ग में आने वाले निर्जन क्षेत्रों मे आश्रमों का निर्माण ताकि परिक्रमा करने वाले श्रद्धालु उसमें विश्राम कर सकें। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह कार्य सरकारी विभागों, स्वयं सेवी संगठनों और आध्यात्मिक मंचों के बीच बेहतर तरीके से किया जा सकता है। मुख्यमंत्री ने मां नर्मदा की परिक्रमा को प्रमुख धार्मिक पर्यटन गतिविधि के रूप में विकसित करने करने के निर्देश भी मुख्यमंत्री द्वारा दिए गए हैं।मुख्यमंत्री के अनुसार नर्मदा नदी के संरक्षण के लिए उद्गम स्थल अमरकंटक पर बसी आबादी को विस्थापित करने और विस्थापितों के लिए वैकल्पिक व्यवस्था करने कीकह योजना पर भी विचार किया जा रहा है। सरकार उद्गम स्थल के आसपास आबादी के विस्तार को रोकने के लिए हरसंभव प्रयास करेगी।


पुण्य सलिला नर्मदा के संरक्षण हेतु आवश्यक कार्ययोजना तैयार करने के उद्देश्य से बुलाई गई इस महत्वपूर्ण मंत्रिमंडलीय बैठक में मोहन यादव ने कहा कि पुण्य सलिला नर्मदा के उद्गम स्थल के आसपास बसी आबादी को विस्थापित कर उनके वैकल्पिक व्यवस्था करने की दिशा में कदम उठाए जाएंगे और यह भी सुनिश्चित करेगी कि नर्मदा नदी के उद्गम स्थल से लेकर प्रदेश की सीमा तक किसी भी बसाहट का सीवेज नर्मदा नदी के जल को दूषित न कर पाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि मां नर्मदा के उद्गम स्थल अमरकंटक के आसपास की गतिविधियों की निगरानी के लिए ड्रोन तकनीक और सेटेलाइट इमेजरी का भी उपयोग किया जाएगा। प्रदेश की जीवनदायिनी मां नर्मदा के उद्गम स्थल के प्रबंधन और पर्यावरण को अमरकंटक विकास प्राधिकरण सर्वोच्च प्राथमिकता देगा। मुख्यमंत्री ने एक ओर जहां ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के लिए नवीनतम तकनीक का उपयोग करने के लिए अधिकारियों को निर्देशित किया वहीं दूसरी ओर नदी में मशीनों से खनन गतिविधियों को प्रतिबंधित करने के लिए कठोर कदम उठाने के निर्देश भी दिए।


मुख्यमंत्री ने बैठक में पुण्य सलिला नर्मदा को महान सांस्कृतिक धरोहर बताते हुए कहा कि उपभोक्ता आधारित जीवनशैली ने प्रकृति और पर्यावरण को जो नुकसान पहुंचाया है उसके दुष्प्रभावों से नदियों और जलस्रोतों को बचाना आवश्यक है और सरकार इसके लिए ठोस कदम रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस दिशा में अन्य प्रभावी उपायों के रूप में सरकार नर्मदा नदी के दोनों ओर पांच किलोमीटर तक प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित करेगी इसके साथ ही जनजातीय बाहुल्य वाले क्षेत्रों में साल व सागौन के पौधरोपण व जड़ी-बूटियों के उत्पादन को बढ़ावा दिया जाएगा।


मध्यप्रदेश की जीवन रेखा के रूप में पुण्य सलिला नर्मदा के संरक्षण के लिए अतीत में भी जोर शोर से महत्वाकांक्षी अभियान प्रारंभ किए गए हैं परन्तु किन्हीं कारणों से वे सुखद परिणिति के बिंदु तक नहीं पहुंच सके । अब जब वर्तमान मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने इस पुनीत अभियान को आगे बढ़ाने का संकल्प लिया है तो तब उनके अभियान की भी सफलता को लेकर सवाल उठने लगे हैं परन्तु जो लोग डॉ मोहन यादव की इच्छा शक्ति , समर्पण और विलक्षण कार्यशैली से परिचित हैं उनकी मानें तो मुख्यमंत्री मोहन यादव एक बार जो फैसले कर लेते हैं उसके संपूर्ण क्रियान्वयन होने तक वे चैन से नहीं बैठते इसलिए इस बार यह उम्मीद की सकती है कि मुख्यमंत्री मोहन यादव ने नर्मदा संरक्षण के लिए जो पुनीत संकल्प लिया है उसकी पूर्ति में उनकी सरकार कोई कसर बाकी नहीं रखेगी।

कृष्णमोहन झा(लेखक राजनैतिक विश्लेषक है)

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