देहरादूनः 12 दिसंबर से राजधानी देहरादून के परेड ग्राउंड में अंतरराष्ट्रीय आयुष सम्मेलन का आयोजन शुरू होने जा रहा है। सोमवार को मुख्यमंत्री धामी ने मीडिया सेन्टर सचिवालय में 10वें विश्व आयुर्वेद कांग्रेस के कर्टेन रेजर एवं प्रोग्राम गाइड का विमोचन किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि उत्तराखंड की धरती प्राचीन काल से ही आयुर्वेद व प्रज्ञा की भूमि रही है। ऋषि-मुनियों व मनीषियों ने इस दिशा में व्यापक शोध-अनुसंधान कर हमें यह विधा प्रदान की है। राज्य की जलवायु औषधीय पादपों के लिए सर्वथा अनुकूल है। आयुर्वेद का विषय राज्य के साथ हिमालय और वनों का भी है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर अपने संदेश में कहा था कि उत्तराखण्ड में विकास का यज्ञ चल रहा है। प्रधानमंत्री का मार्गदर्शन राज्य के विकास के प्रति हमें सतत प्रयत्नशील रहने की प्रेरणा देता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने राज्य हित में अनेक निर्णय लिये है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि यह आयोजन सर्वे सन्तु निरामयाः का संदेश भी घर-घर तक पहुंचाने में मददगार होगा. कार्यक्रम की घोषणा करते हुए सीएम धामी ने कहा कि महामारी के दौर में आयुर्वेद एवं आयुष का प्रभाव लोगों ने देखा है।

 इस वैश्विक आयुर्वेद कांग्रेस में 58 देशों से 300 से अधिक अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधि प्रतिभाग कर रहे हैं. जबकि देश भर के 6500 प्रतिनिधि और 2 लाख रिसर्चर के साथ यह आयोजन ज्ञान और सहयोग का अद्वितीय मंच बनेगा. उत्तराखंड प्रदेश के 8 विभागों स्वास्थ्य, कौशल विकास, पर्यटन, आयुर्वेदिक, होम्योपैथी, उद्योग, उद्यान, ग्राम्य विकास के स्टॉल वेलनेस पर्यटन के प्रमुख केंद्र के रूप में बढ़ावा देने में सहायक होंगे. सरकार चाहती है कि इस कार्यक्रम के बाद योग की तरह ही आयुर्वेद के क्षेत्र में प्रदेश को एक नई पहचान भी मिले. लिहाजा, कार्यक्रम के लिए सीएम धामी ने अधिकारियों को कई तरह के निर्देश भी दिए हैं।

सीएम धामी ने कहा कि राज्य में 3 नए 50 बेड वाला आयुष चिकित्सालयों का निर्माण कार्य टिहरी, कोटद्वार और टनकपुर में किया जा रहा है. राज्य में आयुष आधारित 300 आयुष्मान आरोग्य मंदिरों की स्थापना पूरी की जा चुकी है. सभी आयुष अस्पतालों में टेलीमेडिसिन, पंचकर्म और मर्म चिकित्सा जैसी सुविधाएं दी जा रही हैं. राज्य के 150 से अधिक आयुष चिकित्सालय एनएबीएच एक्रीडिटेशन (NABH Accreditation) प्राप्त कर चुके हैं. बता दें, उत्तराखंड आयुर्वेद के लिहाज से कितना सक्षम बन सकता है? इसका अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि उत्तराखंड के कोटद्वार के नजदीक आयुर्वेद के जनक चरक ऋषि की कर्म स्थली है, यही पर रह कर उन्होंने चरख सहिंता लिखी थी। हर दो साल में होने वाले विश्व आयुर्वेद कांग्रेस सम्मेलन की मेजबानी इस बार उत्तराखंड को मिली है. 12 से 15 दिसंबर तक ये आयोजन देहरादून के परेड ग्राउंड में होने जा रहा है ।

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