मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने प्रदेश के वन और वन्य-जीवों के संरक्षण और संवर्धन के लिए राज्य सरकार की प्रतिबद्धता को दोहराया। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश का वन और वन्य-जीव क्षेत्र राज्य की पहचान है, और इनका संरक्षण राज्य सरकार की प्राथमिकता है।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला, जो प्रदेश के पर्यावरण और वन-क्षेत्र को सुदृढ़ करने में योगदान कर रहे हैं।
1. ‘बफर-सफर’ योजना के तहत पर्यटकों के लिए नई गतिविधियाँ
मुख्यमंत्री ने कहा कि ‘बफर-सफर’ योजना के तहत पर्यटकों के लिए कई नई गतिविधियाँ शुरू की गई हैं। इसके अंतर्गत प्रदेश के टाइगर रिजर्व के बफर क्षेत्रों में पर्यटक प्राकृतिक स्थलों का अवलोकन, वन और वन्य-जीवों के दर्शन के साथ-साथ विभिन्न इको-पर्यटन गतिविधियों का आनंद ले रहे हैं।
2. वन आवरण में वृद्धि
डॉ. यादव ने यह भी बताया कि प्रदेश के वन आवरण में 1063 वर्ग किलोमीटर की वृद्धि हुई है। यह वृद्धि मध्यप्रदेश के वन-क्षेत्र में हो रहे संरक्षण प्रयासों को दर्शाती है।
3. नगर-वन योजना
मुख्यमंत्री ने कहा कि मध्यप्रदेश नगर-वन योजना में देश में अग्रणी है। इस वर्ष 39 नगर-वन स्वीकृत किए गए हैं, जो शहरी क्षेत्रों में हरे-भरे वातावरण को बढ़ावा देंगे।
4. सांस्कृतिक वनों की स्थापना
प्रदेश के प्रमुख शहरों – उज्जैन, चित्रकूट, खजुराहो और भोपाल में सांस्कृतिक वनों की स्थापना की जा रही है, जो न केवल पर्यावरणीय संतुलन को बनाए रखने में मदद करेंगे, बल्कि स्थानीय संस्कृति और धरोहर को भी प्रोत्साहित करेंगे।
5. ‘एक पेड़ माँ के नाम’ अभियान
वन विभाग द्वारा चलाए जा रहे ‘एक पेड़ माँ के नाम’ अभियान के अंतर्गत अब तक 6.16 करोड़ पौधे रोपित किए गए हैं। यह अभियान प्रदेश में हरित क्षेत्र के विस्तार के लिए महत्वपूर्ण पहल साबित हो रही है।
6. तेंदूपत्ता संग्रहण में सफलता
मुख्यमंत्री ने बताया कि प्रदेश में तेंदूपत्ता संग्रहण का लक्ष्य 16.09 लाख मानक बोरा था, जबकि 16.68 लाख मानक बोरा तेंदूपत्ता का संग्रहण किया गया। इससे जुड़ी पारिश्रमिक राशि के रूप में 667.20 करोड़ रुपये वितरित किए गए, जो स्थानीय समुदायों के लिए एक महत्वपूर्ण आर्थिक योगदान साबित हो रहा है।
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