पब्लिक फर्स्ट । नई दिल्ली / भोपाल । ब्यूरो रिपोर्ट ।
HIGHLIGHT FIRST
- 3 दिवसीय महानाट्य में दिखेगा भारत का गौरव
भारत के स्वर्णिम इतिहास और सुशासन की मिसाल रहे सम्राट विक्रमादित्य की गाथा अब राजधानी दिल्ली के ऐतिहासिक लाल किले पर मंचित होने जा रही है। मप्र के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने घोषणा की है कि 12 से 14 अप्रैल तक दिल्ली के लाल किले पर तीन दिवसीय ‘विक्रमादित्य महानाट्य’ का आयोजन किया जाएगा। इसमें 250 से अधिक कलाकारों की भव्य प्रस्तुति के माध्यम से भारत के गौरवशाली अतीत को जीवंत किया जाएगा।

मप्र के मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रेरणा से शुरू हुआ “विरासत से विकास” अभियान का हिस्सा बताया। उन्होंने कहा कि विक्रमादित्य महानाट्य न केवल मनोरंजन है, बल्कि यह जनमानस को इतिहास की उस धुरी से जोड़ने का प्रयास है, जो आज भी हमारे मूल्यों और नीतियों में जीवित है।

- क्या है विक्रमादित्य महानाट्य:
इस मंचन में हाथी, घोड़े, पालकी और ऐतिहासिक परिधान सहित सम्राट विक्रमादित्य के जीवन, उनके नवाचार, न्याय व्यवस्था, नवरत्नों की विद्वता और प्रजा के प्रति उनकी संवेदनशीलता को चित्रित किया जाएगा। महानाट्य में वीर रस से लेकर शांत और भक्ति रस तक के दृश्य शामिल होंगे।
- विक्रमादित्य की शासन व्यवस्था आज भी प्रासंगिक:
डॉ. यादव ने बताया कि सम्राट विक्रमादित्य ने 2000 वर्ष पूर्व गणतांत्रिक शासन की स्थापना की थी। उन्होंने खुद को कभी राजा नहीं कहा, बल्कि एक सेवक के रूप में कार्य किया। यह वही भाव है जो प्रधानमंत्री मोदी “प्रधान सेवक” के रूप में व्यक्त करते हैं।
- विक्रम संवत: भारतीय कालगणना की वैज्ञानिक धरोहर:
मुख्यमंत्री यादव ने विक्रम संवत की महत्ता को भी रेखांकित किया, जिसे सम्राट ने शक आक्रांताओं को हराकर 57 ईसा पूर्व शुरू किया था। यह संवत आज भी भारतीय संस्कृति और धार्मिक परंपराओं का वैज्ञानिक आधार है।
- इतिहास में विक्रमादित्य के योगदान:
- 300 से अधिक मंदिरों का निर्माण (मथुरा, अयोध्या सहित)
• वेधशालाओं की स्थापना (यहां तक कि वर्तमान ईरान क्षेत्र में भी)
• विदेशी पुस्तकालयों (मक्का व इराक) में विक्रमादित्य की प्रशंसा
• “दानवीर, न्यायप्रिय, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक उत्प्रेरक” के रूप में पहचान - मप्र सरकार की भागीदारी और सोच:
मुख्यमंत्री ने बताया कि मध्यप्रदेश सरकार इतिहास और परंपरा को पुनः प्रतिष्ठित करने की दिशा में सक्रिय है। किसानों को 30 लाख सोलर पंप और कर्ज़ से मुक्ति की योजना इसी सोच का हिस्सा हैं। विक्रमादित्य शोध पीठ के माध्यम से ऐतिहासिक पुस्तकों और प्रमाणों को एकत्र कर उन्हें सामने लाया जा रहा है।
विशेष :
दिल्ली के लाल किले पर यह महानाट्य न केवल एक भव्य सांस्कृतिक आयोजन है, बल्कि यह भारत के उस स्वाभिमान और आत्मबोध को पुनः जाग्रत करने का अवसर है, जिसकी नींव विक्रमादित्य जैसे युगपुरुषों ने रखी थी।