पब्लिक फर्स्ट। नई दिल्ली ।ब्यूरो ।

​भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने 9 अप्रैल 2025 को अपनी मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक में रेपो रेट में 0.25% की कटौती की घोषणा की, जिससे यह दर 6.00% हो गई। यह लगातार दूसरी बार है जब RBI ने आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करने के लिए दरों में कटौती की है।​

रेपो रेट में कटौती के प्रमुख बिंदु:

रेपो रेट में बदलाव: 0.25% की कटौती के साथ, नई रेपो रेट अब 6.00% है। ​

नीतिगत रुख में परिवर्तन: RBI ने अपने नीतिगत रुख को ‘न्यूट्रल’ से बदलकर ‘समायोज्य’ (accommodative) किया है, जो भविष्य में और दर कटौती की संभावना को दर्शाता है। ​

मुद्रास्फीति दर: फरवरी में मुद्रास्फीति दर 3.6% दर्ज की गई, जो RBI के 4% के लक्ष्य से कम है, जिससे दर कटौती के लिए स्थान मिला। ​

वैश्विक व्यापार तनाव: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा चीनी वस्तुओं पर 104% शुल्क सहित नए शुल्क लगाए गए हैं, जिससे वैश्विक व्यापार तनाव बढ़ा है और भारतीय आईटी और फार्मा शेयरों पर प्रभाव पड़ा है। ​

EMI पर प्रभाव:

रेपो रेट में कटौती का सीधा लाभ होम लोन, कार लोन और व्यक्तिगत ऋण की ब्याज दरों में कमी के रूप में हो सकता है, जिससे मासिक किस्तों (EMI) में राहत मिलेगी। विशेषज्ञों के अनुसार, यदि बैंक इस कटौती का पूरा लाभ उपभोक्ताओं को देते हैं, तो 20 साल की अवधि वाले होम लोन की EMI में लगभग 1.8% की कमी आ सकती है। ​

बाजार पर प्रभाव:

RBI की इस घोषणा के बाद भारतीय शेयर बाजारों में शुरुआती गिरावट से कुछ सुधार देखा गया। निफ्टी 50 में 0.38% की गिरावट के साथ 22,451.35 पर और बीएसई सेंसेक्स में 0.24% की गिरावट के साथ 74,046.13 पर बंद हुआ, जो पहले की 0.6% की गिरावट से बेहतर है। ​

विशेषज्ञों की राय:

विश्लेषकों का मानना है कि RBI की यह दर कटौती आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करने और मौजूदा वैश्विक आर्थिक चुनौतियों का सामना करने में मददगार होगी। हालांकि, अमेरिकी शुल्कों के प्रभाव और वैश्विक व्यापार तनाव के कारण निवेशकों की धारणा पर दबाव बना हुआ है। ​

RBI की इस मौद्रिक नीति में बदलाव से भारतीय अर्थव्यवस्था को समर्थन मिलने की उम्मीद है, जिससे उपभोक्ताओं और व्यवसायों को ऋण लेने में आसानी होगी और आर्थिक गतिविधियों में वृद्धि होगी।

publicfirstnews.com

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