विश्व संवाद केन्द्र द्वारा हर वर्ष की तरह इस बार भी नारद जयंती के उपलक्ष्य में एक विशेष पत्रकार संवाद कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस संवाद का आयोजन शहर के एक प्रतिष्ठित निजी विद्यालय परिसर में किया गया, जिसमें कई वरिष्ठ और युवा पत्रकारों ने सहभागिता की।

कार्यक्रम का उद्देश्य था — भारत-पाक हालिया संघर्ष के संदर्भ में राष्ट्रहित और जिम्मेदार पत्रकारिता पर संवाद स्थापित करना।


संवाद के प्रमुख बिंदु:
  • संवाद कार्यक्रम में यह चर्चा का विषय रहा कि राष्ट्र सुरक्षा जैसे संवेदनशील मुद्दों पर संवेदनशील और तथ्यपरक पत्रकारिता कितनी महत्वपूर्ण है।
  • वक्ताओं ने कहा कि युद्ध या सैन्य कार्रवाई जैसे समय में, मीडिया की भूमिका केवल रिपोर्टिंग की नहीं, बल्कि राष्ट्र को एकजुट करने की होती है।
  • कई पत्रकारों ने सोशल मीडिया पर फैल रही भ्रामक खबरों को रोकने के लिए एथिकल जर्नलिज्म की आवश्यकता पर बल दिया।
  • नारद जी के आदर्शों की चर्चा करते हुए वक्ताओं ने उन्हें भारत का प्रथम संवाददाता बताते हुए उनकी निष्पक्षता और समाज के प्रति जिम्मेदारी का उदाहरण दिया।

वरिष्ठ पत्रकारों के विचार

कार्यक्रम में शामिल एक वरिष्ठ पत्रकार ने कहा:

“नारद मुनि केवल सूचनाएं देने वाले नहीं थे, वे समाज में संतुलन बनाए रखने वाले संवाद वाहक थे। आज की पत्रकारिता को भी इसी दिशा में बढ़ने की आवश्यकता है।”

एक युवा पत्रकार ने कहा:

“हमारा उद्देश्य TRP नहीं, ट्रस्ट और ट्रUTH होना चाहिए। राष्ट्र जब युद्ध जैसी स्थिति से गुजरता है, तब मीडिया की भूमिका बेहद जिम्मेदार होनी चाहिए।”


भारत-पाक संघर्ष और मीडिया की भूमिका

हाल ही में भारत द्वारा किए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और नूर खान एयरबेस पर हुए कथित हमले के संदर्भ में मीडिया की भूमिका पर खास चर्चा हुई।

  • वक्ताओं ने यह स्पष्ट किया कि इस तरह की कार्रवाई पर भ्रम फैलाना या अपुष्ट खबरें चलाना न सिर्फ मीडिया की गरिमा को ठेस पहुंचाता है, बल्कि राष्ट्र की सुरक्षा को भी खतरे में डालता है।

नारद जयंती का संदर्भ

कार्यक्रम में नारद जयंती को भारतीय पत्रकारिता की जड़ें बताते हुए कहा गया कि:

  • नारद मुनि संवाद के पहले स्तंभ थे।
  • उन्होंने संवाद को केवल सूचना का माध्यम नहीं, संस्कार का साधन माना।
  • आज की पत्रकारिता को भी उसी मूल्यों की ओर लौटना चाहिए।

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