उज्जैन की पवित्र धरती पर स्थित 500 वर्षों से भी अधिक पुरानी सिंहपुरी की गोवर्धन नाथ जी की हवेली रविवार शाम एक बार फिर भक्ति, परंपरा और रंगों की महक से सराबोर हो उठी। यहां आम के मनोरथ दर्शन का आयोजन धूमधाम से संपन्न हुआ, जिसमें भगवान श्रीनाथ जी का दिव्य श्रृंगार 950 किलो ताजे आमों से किया गया।
इस विशेष अवसर पर हापुस, बादाम, लाल पट्टा, कलमी, केसर, राजपुरा और नीलम जैसी विभिन्न किस्मों के आमों से सजावट की गई। मंदिर के चारों ओर आम की सुगंधित महक और भक्तों की श्रद्धा का अद्भुत समागम देखने को मिला।
मंदिर प्रमुख शरद भट्ट ने जानकारी देते हुए बताया कि यह अनोखी परंपरा सदियों से चली आ रही है और इसे हर साल ज्येष्ठ मास में बड़ी श्रद्धा और उत्सव के साथ मनाया जाता है। आयोजन की खास बात यह भी है कि यह केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि स्थानीय सांस्कृतिक धरोहर और कृषि समाज से भी गहराई से जुड़ा हुआ है।
श्रृंगार के समय भगवान का दरबार आमों की सजावट से ऐसा प्रतीत हो रहा था मानो प्रकृति ने स्वयं श्रीनाथजी को फलांजलि अर्पित की हो। हर ओर से श्रद्धालु आम की खुशबू में डूबे भक्ति के गीत गाते नज़र आए। भक्तों की भारी भीड़ ने इस अलौकिक दर्शन का आनंद उठाया।
यह आयोजन न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है बल्कि यह स्थानीय आम उत्पादकों और किसानों के लिए भी एक उत्सव का रूप लेता है। आमों का चयन, सजावट और वितरण – इन सभी गतिविधियों में स्थानीय समाज की भागीदारी भी सराहनीय रही।
यह आयोजन एक बार फिर साबित करता है कि उज्जैन की हवेलियां सिर्फ धार्मिक स्थलों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि वे संस्कृति, परंपरा और सामाजिक समरसता की जीती-जागती मिसाल भी हैं। आम के मनोरथ दर्शन ने न केवल भगवान को फलांजलि दी, बल्कि हर भक्त के मन में भक्ति के नए बीज भी बो दिए।
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