पब्लिक फर्स्ट । श्रीनगर । ब्यूरो।
नाम में क्या रखा है ?? नाम में ही तो रहस्य छिपा है
इस्लामिक आक्रांताओं ने सबसे पहले पुस्तकालय और मंदिरों को नष्ट किया जिससे सनातन संस्कृति के साथ संस्कृत भाषा ही ना बचे । संस्कृत भाषा की अज्ञानता से सनातन हिन्दू फिर कभी अपने इतिहास को ना तो जान पायेंगे और ना अपनी धरोहरों और विरासत को वापस लेने की कोशिश करेंगे । क्योंकि वो तो उन नामों से अनभिज्ञ होकर, अपनी ही धरोहरों को इस्लामिक मिल्कियत मान लेंगे । इसलिये इस्लामिक कट्टरपंथियों और उनकी पैरोकार सेक्युलर जमातों को किसी भी स्थान का नाम पुनः मूल स्वरुप में रखने पर सबसे ज्यादा तकलीफ़ होती है । क्योंकि फिर उन्हें अपनी पोल खुलने का डर सताने लगता है ।
अब हम आपको बताते हैं क्या है कश्मीर से भूतपूर्व भारत ( पाकिस्तान ) तक बहने वाली झेलम नदी का असली नाम और इतिहास ।
झेलम नदी का प्राचीन नाम और इतिहास
प्राचीन नाम
• झेलम नदी का प्राचीन वैदिक संस्कृत नाम वितस्ता (Vitasta) था।
• कश्मीरी में इसे व्यथ न’द (Vyath Nad) कहा जाता है।
वेद-पुराण और ऐतिहासिक उल्लेख :
• ऋग्वेद के नदीसूक्त में वितस्ता का उल्लेख है, जहाँ इसे सप्त-सिन्धु (सात नदियों) में गिना गया है।
• महाभारत और श्रीमद्भागवत जैसे ग्रंथों में भी वितस्ता का उल्लेख मिलता है, जहाँ इसे पवित्र और मोक्षदायिनी नदी कहा गया है।
• नीलमत पुराण के अनुसार, वितस्ता का उद्गम देवी पार्वती के अवतार से जुड़ा है।
पौराणिक कथा :
कथा के अनुसार, कश्यप ऋषि के अनुरोध पर पार्वती ने नदी का रूप लिया और शिव ने अपने त्रिशूल से भूमि को छेदकर नदी को बाहर निकाला, इसलिए इसका नाम वितस्ता पड़ा (वितस्ति = लगभग 9 इंच की माप)।
झेलम नाम कैसे पड़ा?
• “झेलम” नाम का प्रचलन मुस्लिम इतिहासकारों के समय से शुरू हुआ। यह नदी पश्चिमी पाकिस्तान के प्रसिद्ध नगर झेलम के पास बहती थी, जहाँ नदी पार करने के लिए शाही घाट (शाह गुज़र) बना था।
• नगर के नाम पर ही नदी का नाम झेलम कर दिया गया ।
सारांश
• झेलम नदी का मूल नाम वितस्ता है, जो वेद-पुराणों, महाभारत और अन्य ग्रंथों में मिलता है।
- आप भी इस पुरातन और असली नाम को ना भूले । याद रखें कल को कोई आपके घर – स्थान या आपके किसी अपने का नाम बदल दें तो समझ लेना ये हड़प जिहाद ही है ।
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