12 जून 2025 को अहमदाबाद हादसे के समय सिंह राशि में मंगल और केतु की युति थी, जिसे कुंजकेतु योग कहा जाता है। यह योग दो क्रूर ग्रहों (मंगल: अग्नि, ऊर्जा, साहस; केतु: छाया, भ्रम, अचानक आपदा) के मिलने से बनता है, जो दुर्घटना, अग्निकांड, तकनीकी गड़बड़ी, और वायुयान हादसे की संभावना को बहुत बढ़ा देता है। सिंह राशि स्वयं अग्नि तत्व की राशि है, जिससे यह योग और भी घातक हो गया।
• राहु-मंगल योग:
मंगल वायु तत्व राशि में था और उस पर राहु की दृष्टि थी। राहु तकनीकी खराबी, भ्रम और आकस्मिक घटनाओं का कारक है। जब राहु और मंगल का संयोग या दृष्टि बनती है, तो दुर्घटनाओं की संभावना कई गुना बढ़ जाती है।
• वक्री शनि:
शनि उस समय वक्री चाल में था, जो बाधाएं, यांत्रिक खराबी, और गंभीर नुकसान का संकेत देता है। वक्री शनि, राहु और मंगल के साथ त्रिकोण बनाकर विनाशकारी घटनाओं की आशंका को और अधिक बढ़ा देता है।
• चंद्रमा की स्थिति:
घटना के समय चंद्रमा नीच राशि में था, जिससे मानसिक तनाव, भ्रम और निर्णय में चूक की संभावना बढ़ जाती है। इससे पायलट या तकनीकी स्टाफ पर भी ग्रहों का नकारात्मक असर संभव है।
नक्षत्र प्रभाव
• केतु का नक्षत्र:
केतु का नक्षत्र (आश्लेषा या मूल) आमतौर पर अचानक, अप्रत्याशित और विनाशकारी घटनाओं से जुड़ा होता है। इस समय केतु के नक्षत्र में मंगल का गोचर, दुर्घटना के लिए विशेष रूप से जिम्मेदार माना जाता है
निष्कर्ष:
12 जून 2025 के अहमदाबाद विमान हादसे के पीछे मुख्य रूप से मंगल-केतु (कुंजकेतु योग), राहु-मंगल योग, वक्री शनि, और केतु के नक्षत्र का अशुभ प्रभाव जिम्मेदार है। इन ग्रहों और नक्षत्रों के संयोग ने दुर्घटना की संभावना को कई गुना बढ़ा दिया था
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