फास्ट‑ट्रैक कोर्ट में फैसला: आरोपी को मौत की सजा

उज्जैन के जिला एवं सत्र न्यायालय में आज एक जघन्य हत्या मामले में वाहिद लाला को मृत्यु दंड दिया गया। प्रधान न्यायाधीश राजेश कुमार गुप्ता ने आरोपी को हत्या और आर्म्स एक्ट के तहत दोषी मानते हुए सर्वोच्च सजा सुनाई।

मामला: मार्च 2024 की घटनाक्रम

घटना मार्च 2024 की है, जब आरोपी वाहिद लाला ने अपनी पत्नी संजीदा बी. को बाइक पर बिठाकर आदर्श नगर ले गया। संजीदा द्वारा कथित तौर पर गुड्डू के साथ संबंध होने की शंका में उसने चार्ज की हुई पिस्तौल से तीन गोली सीधे उनकी छाती में मारी, जिससे स्थान पर संजीदा की मौत हो गई

पहले से हत्या का इतिहास, अपराध फास्ट‑ट्रैक कोर्ट में पहुंचा

वाहिद पर पहले से ही दो हत्या के आरोप दर्ज थे। पुलिस ने इस आपराधिक इतिहास को देखते हुए इसे चिन्हित अपराध मानकर फास्ट‑ट्रैक कोर्ट में मामला चलाया। एसपी प्रदीप शर्मा के अनुसार, महज 8 महीने की पैरवी में इस केस को अंतिम निर्णय तक पहुंचाया गया।

अभियोजन पक्ष की भूमिका और सबूत

मुख्य अभियोजन पक्ष वकील मिश्रीलाल चौधरी ने बताया कि यह एक जघन्य अपराध था। सीनियर एडवोकेट वीरेन्द्र शर्मा से बचाव पक्ष ने पैरवी की, लेकिन प्रभावी सबूत और गवाह के दम पर अभियोजन पक्ष ने वाहिद को दोषी साबित कर मृत्युदंड सुनिश्चित किया।

फ़ैसला और कानूनी धाराएँ

जिला न्यायालय के प्रभारी उपसंचालक राजेंद्र खांडेकर ने कहा कि प्रकरण संख्या 20/24 में धारा 302 (हत्या) एवं आर्म्स एक्ट के अंतर्गत आज न्यायाधीश राजेश कुमार गुप्ता ने वाहिद लाला को दुर्दांत अपराधी मानते हुए मृत्युदंड की सजा सुनाई है।

निष्कर्ष: फास्ट‑ट्रैक न्याय व्यवस्था का संदेश

यह फास्ट‑ट्रैक केस दिखाता है कि अगर सबूत स्पष्ट हों और पुलिस व अभियोजन का समन्वय सही हो, तो 8 महीने में भी फैसला सुना जा सकता है। साथ ही, यह मामले पति‑पत्नी में चरित्रशंका के आधार पर हत्या की गंभीर समस्या को भी उजागर करता है।

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