पब्लिक फर्स्ट। ब्यूरो / नई दिल्ली। तरुणा।
कौन होगा भाजपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष ?
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) इस समय एक महत्वपूर्ण बदलाव की ओर बढ़ रही है। पार्टी के वर्तमान राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा का कार्यकाल समाप्ति की ओर है, और अब पार्टी जल्द ही नए अध्यक्ष की घोषणा करने वाली है। इस बदलाव की पृष्ठभूमि में संगठनात्मक संतुलन, क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व, जातीय समीकरण और 2029 की रणनीति प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं।
संगठनात्मक प्रक्रिया
भाजपा का संविधान कहता है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव तभी हो सकता है जब 50% से अधिक प्रदेश इकाइयों में संगठनात्मक चुनाव पूरे हो चुके हों। अब तक 26 से अधिक प्रदेशों में यह प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। इसके बाद पार्टी के केंद्रीय चुनाव प्राधिकरण द्वारा अध्यक्ष पद के लिए नामांकन, विचार और घोषणा की प्रक्रिया शुरू की जाती है। अनुमान है कि जुलाई के दूसरे या तीसरे सप्ताह में नए अध्यक्ष का ऐलान हो सकता है, ताकि संसद के मानसून सत्र से पहले नए नेतृत्व को स्थापित किया जा सके।
चर्चित नाम
- धर्मेंद्र प्रधान – ओडिशा से आने वाले केंद्रीय मंत्री, संगठनात्मक दक्षता और संघ से निकट संबंध रखते हैं। वह भाजपा की चुनावी रणनीति के प्रमुख स्तंभों में से एक माने जाते हैं।
- शिवराज सिंह चौहान – मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री, जिनकी जनाधार वाली छवि और OBC प्रतिनिधित्व उन्हें एक मजबूत दावेदार बनाते हैं।
- भूपेंद्र यादव – पर्यावरण मंत्री और एक कुशल संगठनकर्ता, जिनका संघ से गहरा जुड़ाव है।
- बी.एल. संतोष – भाजपा के संगठन महासचिव, जो आरएसएस की पसंद माने जाते हैं।
- मनोज सिन्हा – जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल, जिनका प्रशासनिक अनुभव और संतुलित छवि उन्हें एक “डार्क हॉर्स” बना सकती है।
पहली महिला अध्यक्ष की संभावना
इस बार भाजपा में महिला नेतृत्व को लेकर चर्चा काफी तेज है। ऐसा पहली बार हो सकता है कि भाजपा को कोई महिला राष्ट्रीय अध्यक्ष मिले। तीन नाम प्रमुख रूप से सामने आ रहे हैं:
- निर्मला सीतारमण – वर्तमान वित्त मंत्री, तेजतर्रार वक्ता और अंतरराष्ट्रीय पहचान रखने वाली नेता हैं।
- डी. पुरंदेश्वरी – आंध्र प्रदेश भाजपा अध्यक्ष, जो सॉफ्ट स्पोकन लेकिन प्रभावशाली संगठनकर्ता मानी जाती हैं।
- वनथी श्रीनिवासन – तमिलनाडु भाजपा महिला मोर्चा की प्रमुख, दक्षिण भारत में भाजपा के विस्तार की रणनीति का हिस्सा।
रणनीतिक दृष्टिकोण
भाजपा के लिए नया अध्यक्ष चुनना केवल एक औपचारिकता नहीं है, बल्कि यह अगले आम चुनाव और पार्टी की विस्तार नीति का संकेत होगा। यदि कोई महिला को अध्यक्ष बनाया जाता है, तो इससे भाजपा की “नया भारत, नया नेतृत्व” की छवि को बल मिलेगा। वहीं, संघ की परंपरा को देखते हुए संगठनात्मक रूप से मजबूत, अनुशासित और आरएसएस समर्थित चेहरा भी शीर्ष पर आ सकता है।
निष्कर्ष
भाजपा के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में कौन चुना जाएगा, यह निर्णय पार्टी की भविष्य की दिशा तय करेगा। चाहे वह एक अनुभवी पुरुष नेता हों या पहली महिला अध्यक्ष – यह कदम पार्टी की रणनीति, संगठनात्मक सोच और देश की राजनीतिक धारा में महत्वपूर्ण मोड़ बन सकता है।
