लखनऊ। उत्तर प्रदेश में सरकारी स्कूलों के मर्जर को लेकर शुरू हुई सियासी जंग अब पोस्टर वॉर में बदल गई है। सोमवार को लखनऊ में समाजवादी पार्टी (सपा) कार्यालय के बाहर एक होर्डिंग ने सरकार पर हमला बोला, तो उसी के जवाब में मुख्यमंत्री आवास के पास लगी एक नई होर्डिंग ने योगी सरकार की शिक्षा क्षेत्र में की गई उपलब्धियों को विस्तार से गिनाया।
सपा नेता की होर्डिंग से शुरू हुआ विवाद
सपा नेता जयसिंह प्रताप यादव (अमेठी) की ओर से पार्टी दफ्तर के बाहर लगाई गई होर्डिंग में लिखा था – “ये कैसा रामराज्य? बंद करो पाठशाला, खोलो मधुशाला!”
यह टिप्पणी राज्य सरकार के सरकारी स्कूलों के मर्जर के फैसले पर सीधा हमला थी। सपा का कहना है कि सरकार गरीब बच्चों के शिक्षा अधिकारों पर आघात कर रही है।
जवाबी होर्डिंग बनी चर्चा का केंद्र
सपा की होर्डिंग के जवाब में मुख्यमंत्री आवास के पास जो पोस्टर लगाया गया, उसमें अखिलेश यादव पर तंज कसते हुए लिखा गया – “चश्मा हटाइए अखिलेशजी, टोपी मत पहनाइए” साथ ही इसमें योगी सरकार के पिछले आठ सालों में शिक्षा व्यवस्था में हुए सुधारों का उल्लेख किया गया।
होर्डिंग में योगी सरकार की ये उपलब्धियां गिनाई
18 मंडलों में अटल आवासीय विद्यालय की स्थापना
57 जिलों में मुख्यमंत्री मॉडल कंपोजिट विद्यालय
गोरखपुर में पूर्वांचल का पहला सैनिक स्कूल
680 कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों का उच्चीकरण
39 नए हाईस्कूल और 14 नए इंटर कॉलेजों का निर्माण
25,784 परिषदीय विद्यालयों में स्मार्ट क्लासेस
5,568 स्कूलों में ICT लैब्स की स्थापना
7 नए केंद्रीय विद्यालयों की स्थापना प्रक्रियाधीन
आश्रम पद्धति विद्यालय 93 से बढ़कर 120 हुए
एक और पोस्टर में विपक्ष को घेरा
सीएम आवास के पास लगी एक अन्य होर्डिंग में विपक्ष पर निशाना साधते हुए लिखा गया – “शर्म का कर चुके हो तर्पण, देख लो दर्पण”
स्कूल मर्जर – क्या है मामला?
उत्तर प्रदेश सरकार ने हाल ही में 5,000 से अधिक कम छात्र संख्या वाले प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों को मर्ज करने का फैसला लिया है।
सरकार का कहना है कि इससे संसाधनों का समुचित उपयोग होगा और बच्चों को बेहतर शिक्षा व सुविधाएं मिलेंगी। वहीँ विपक्ष का आरोप है कि यह शिक्षा व्यवस्था को कमजोर करने और सरकारी स्कूलों को धीरे-धीरे बंद करने की साजिश है।
यह पोस्टर वॉर अब सियासी बहस में बदल चुका है, जहां एक तरफ योगी सरकार अपनी उपलब्धियों को गिना रही है, तो दूसरी ओर विपक्ष इसे जनता से जुड़े मुद्दों पर पर्दा डालने की कोशिश बता रहा है।
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