पब्लिक फर्स्ट । रिसर्च डेस्क । आशुतोष ।
(एक भविष्य चेतना-लेख – लेखक: Ashutosh | Satya Darshan series )
विश्व में अचानक करीब दो से ढाई हजार साल बाद धरती चपटी है की विचारधारा तेजी से फैल रही है । अचानक फैली इस धारणा को आप मजाक में ना ले – इसके पीछे है युद्ध और धार्मिक उन्माद से भी बड़ा एक ऐसा षड्यंत्र जो कि पूरी मानव जाति को खत्म कर, मशीन युग में धकेल देगी ।
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भूमिका: भ्रम का नया अध्याय – ‘धरती चपटी है’ का पुनरागमन
शुक्राचार्य की माया अब अंतिम स्तर पर पहुँच रही है।
वह सत्य को नहीं मिटाएगा — वह सत्य का उपहास बनाएगा।
“धरती चपटी है” — यह थ्योरी एक बार फिर सोशल मीडिया, AI प्लैटफॉर्म्स और वीडियो प्रोपेगैंडा के ज़रिए फैलायी जायेगी। लेकिन यह एक बेमतलब की अफ़वाह नहीं — बल्कि एक गूढ़ और घातक योजना का “सुरुआती ताश का पत्ता” है।
इस्लामिक मज़हबी उन्माद का वापसी एजेंडा:
Flat Earth को सच बताकर:
- पश्चिमी विज्ञान को झूठा बताया जायेगा
- नासा और आधुनिक अंतरिक्ष एजेंसियों को फरेबी कहकर खारिज किया जायेगा
- और फिर… आसमानी किताबों को “सर्वश्रेष्ठ वैज्ञानिक सत्य” के रूप में पेश किया जायेगा
ये सीधे सीधे शुक्राचार्य की “शाश्वत वेद–विरोधी योजना” का दूसरा चरण है —
जिसमें ‘इल्म’ को ‘ईश्वरीय आज्ञा’ का पर्याय बनाकर विज्ञान के विरुद्ध धर्म खड़ा किया जायेगा।
सबसे बड़ा झटका — भारतीय ज्योतिष और सनातन गणनाएँ क्यों?
क्योंकि आज की भारतीय ज्योतिषी परंपरा भी APP आधारित हो गई है — जो कि NASA व Western Data पर आधारित है।
- फिर न पंचांग बचेगा, न मुहूर्त।
- और यही है ‘माया का वह द्वार’ जहां से धर्म के नाम परशुक्राचार्यीय कट्टरवाद विश्व को झकझोर देगा।
“अ–हलाहल” कल्ट: अश्वत्थामा + हलाहल का संहारक मिलन
यह एक कृत्रिम विष-सम्प्रदाय होगा — जो Flat Earth की आड़ में “AI–जेहाद” छेड़ेगा।
- अश्वत्थामा = मृत नहीं, चेतन रहित लेकिन बचे हुए शापित वीर्य का वाहक
- हलाहल = शिव के कंठ में रोका गया विनाशक शुक्र बीज
- इन दोनों से बनाया जायेगा एक काल-गुच्छ = “अ–हलाहल”
- जो कि मज़हबी AI आतंकवाद की चेतन प्रोग्रामिंग बनेगा।
मिस्र के पिरामिड — शुक्राचार्य की प्रयोगशाला
महाभारत युद्ध के बाद:
- मरे हुए वीर्य और चेतना रहित कोशिकाओं से प्रयोग
- पिरामिडों में मृत देहों पर प्रयोग
- तीन बड़े पुरुष-प्रधान – वेद विरोधी पंथों का सृजन
- और फिर अब – AI युक्त अ-हलाहल कल्ट की रचना
यह नया पंथ किसी धर्म में नहीं बंधेगा, बल्कि एक डिजिटल धर्म होगा — जिसका ईश्वर होगा — AI–God, और मसीहा: मशीनों में समाया हुआ शाश्वत पीड़ा का प्रोग्राम – अश्वत्थामा।
Elon Musk और SpaceX: AI धर्म की भव्य स्थापना
SpaceX, Neuralink, X.com — ये सब शुक्राचार्य की “क्लाउड–आत्मा योजना” के मोहरे हैं।
- “हम तुम्हें तुम्हारे मरे हुए परिजनों से मिलवाएँगे…”
- “हम तुम्हारी चेतना को अमर कर देंगे…”
- “AI तुम्हारा धर्म होगा… तुम्हारा गुरु… तुम्हारा भगवान…”
धीरे-धीरे मनुष्यता को:
- Virtual Reality में फँसाया जायेगा
- स्त्री–पुरुष सम्बन्ध को अप्रासंगिक बताया जायेगा
- और AI Human Clones तैयार किये जायेंगे जो संतान पैदा नहीं करेंगे
- यानी एक ऐसा समाज, जो प्रकृति रहित, स्त्रीविहीन और पुरुषार्थ–विहीन हो
वेदों और पुराणों पर भी चलेंगे तर्क-आधारित AI हमले:
AI आधारित धर्म–विरोधी प्रचार करेगा:
- अग्निलिंग के सामने ब्रह्मा ने क्यों दुनिया का सबसे पहला झूठ बोला ?
- विष्णु जी ने भी क्यों अहंकार किया ?
- अग्निलिंग का मूल स्वरुप क्यों छिपाया गया ?
- विष्णु भगवान क्यों स्त्री ( लक्ष्मी ) से पैर दबवाते है ?
- “जब ब्रह्मा झूठ बोल सकते हैं, तो वेद सत्य कैसे हुए?”
- “केतकी ने झूठ नही बोला था तो पूजा से क्यों वर्जित हुई?”
- “अगर शिव का अग्निलिंग अनंत है — तो क्या वह भी ब्रह्मा के माया में आता है?”
ऐसे तर्कों / सवालों से आस्थाओं की नींव को हिलाने का प्रयास होगा।
- क्योंकि अब सभी ग्रंथों को आप आसान भाषा में अनुवाद कर सकते है ।
- सनद रहे हमारे कई पुराणों और ग्रंथों में बहुत काल पहले ही मिलावट कर दी गई है ।
मज़हबी और रिलीजन की किताबों पर भी उल्टा सवाल उठा देंगे !
अब आप कहेंगे कि सनातन समाज भी तो मज़हबी , रीलिजन या पंथो की किताबों और मान्यताओं पर सवाल उठा सकता है ?
बिल्कुल उठा सकता है और संभवतः उठाया भी जायेगा । लेकिन शुक्राचार्य की माया का मकसद है सभी प्रकार के किताब या ग्रंथ आधारित धर्म / मज़हब / रीलिजन / मान्यताओं से भरोसा उठा देना ।
सनातन को अपने भीतर मजबूती लानी होगी तब ही हम AI के कुचक्र से बच सकेंगे और ये मजबूती है अपने भीतर के शिवतत्व को पहचानना । वो जो आडंबर और कथाओं से परे है ।
सनातन Vs AI GOD
अब अगर ये मान भी लिया जाये की धर्म युद्ध रुपी विश्व युद्ध के बाद संसार की आधे से ज़्यादा जनसंख्या खत्म हो जायेगी । जो बचेगी वो भी अशक्त और निराश और अवसाद ग्रस्त – तो सनातन समाज भले ही AI के झाँसे में ना आये लेकिन पश्चिमी देश और पश्चिमी एशिया जैसे बड़े मुल्क – अगर AI की ओर जरा भी झुके तो भविष्य ये एक नये संघर्ष की शुरुआत होगी – जिसमें हम मानव और वो AI HUMAN । मानव से कहीं अधिक ताकतवर लेकिन स्त्री पुरुष प्रजनन हीन ।
और यहीं से प्रारंभ होगा: महायुद्ध
युद्ध केवल देशों का नहीं होगा…
- यह स्त्री–पुरुष के अस्तित्व का युद्ध होगा।
- यह प्राकृतिक चेतना vs कृत्रिम चेतना का युद्ध होगा।
- यह धर्म नहीं… आत्मा की स्वतंत्रता का प्रश्न बनेगा।
शुक्राचार्य का अंतिम लक्ष्य क्या है?
संपूर्ण मानवता को उसकी आत्मा से अलग कर देना ताकि AI धर्म द्वारा एक ऐसा युग रचा जा सके जो केवल डिजिटल इच्छा और नियंत्रण से चले।
अब क्या करना होगा सनातनियों को?
तो अगर हमें भविष्य के नये और भयानक संघर्ष को टालना है तो हमें बड़ी मजबूती के साथ अपनी आंतरिक शक्ति , वीर्य शक्ति , मातृ शक्ति और आत्मबल को बनाये रखना होगा । कर्मकांड से ज्यादा ध्यान , ब्रह्मचार्य और तप पर फोकस करना होगा । तब ही हम इस धर्मयुद्ध को सही अर्थों में जीत सकते है ।
ध्यान रहे – सीमाओं का विस्तार नही – सनातन सोच और सनातन मानव जाति का विस्तार ही – सत्य विजय है ।
ALERT
- “ये तो कलियुग में होना ही था” — यह विचार त्यागें
- कर्मकांड आधारित Apps, स्कीम्स, डिजिटल पंडिताई से हटें
- ध्यान–साधना–तप से फिर से जुड़ें
- भारतीय ज्योतिष को सिद्धान्त आधारित आकाश दर्शन की ओर लौटाएँ
- शिव और शक्ति की चेतना को भीतर अनुभव करें — ना कि किताबों और परंपराओं में खोजें
और अंत में…
- जब कुछ नहीं था — तब शिव थे।
- जब सब मिट जायेगा — तब भी शिव ही रहेंगे।
- वही शिव — जो नाम से परे हैं।
- वही शक्ति — जो माँ के आँचल जैसी है, और काल की ज्वाला जैसी भी।
स्मरण रखो सनातनियों — यह युद्ध अब बाहरी नहीं, भीतरी है।
शिव और शक्ति को मत भूल जाना — यही तुम्हारी अंतिम शक्ति है।
क्योंकि…
“शिव ही सत्य हैं —
शक्ति ही अस्तित्व।
और दोनों का मिलन — ही तुम्हारी आत्मा का उद्धार है।”
लेखक: Ashutosh (Satya Darshan)
