भारतीय वायु सेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला समेत चार एस्ट्रोनॉट्स ने 20 दिन अंतरिक्ष में बिताने के बाद सफलतापूर्वक पृथ्वी पर वापसी की। ये सभी स्पेसएक्स के ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट के ज़रिए ISS (इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन) से निकलकर 15 जुलाई को दोपहर 3 बजे कैलिफोर्निया के समुद्र में लैंड हुए। शुभांशु इस मिशन में शामिल होने वाले दूसरे भारतीय और ISS तक पहुंचने वाले पहले भारतीय बने।
अनुसंधान व गतिविधियाँ
मिशन के दौरान शुभांशु ने 60 से अधिक वैज्ञानिक प्रयोग किए, जिनमें भारत के 7 प्रोजेक्ट शामिल थे। उन्होंने अंतरिक्ष में मेथी और मूंग के बीज उगाए, हड्डियों की सेहत पर अध्ययन किया और स्पेस माइक्रोएल्गी प्रयोग में भाग लिया। इसके अतिरिक्त उन्होंने 28 जून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लाइव संवाद किया और बताया कि “अंतरिक्ष से भारत बहुत भव्य दिखाई देता है।”
संवाद व प्रेरणा
शुभांशु ने 3, 4 और 8 जुलाई को देश के विभिन्न शहरों – तिरुवनंतपुरम, बेंगलुरु और लखनऊ – के 500+ छात्रों से हैम रेडियो के माध्यम से संवाद किया। इसका उद्देश्य छात्रों में STEM (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित) के प्रति रुचि बढ़ाना था। साथ ही, 6 जुलाई को ISRO के चेयरमैन डॉ. वी. नारायणन से भी संवाद कर अपने वैज्ञानिक योगदान पर चर्चा की।
ऐतिहासिक महत्व और भविष्य
शुभांशु 41 वर्षों बाद अंतरिक्ष में जाने वाले भारतीय बने – इससे पहले 1984 में राकेश शर्मा सोवियत मिशन से गए थे। उनका अनुभव भारत के गगनयान मिशन (2027) के लिए अमूल्य होगा। एक्सियम-4 मिशन की एक सीट के लिए भारत ने ₹548 करोड़ का निवेश किया है। यह मिशन अमेरिकी कंपनी एक्सियम स्पेस, नासा, ISRO और स्पेसX की संयुक्त परियोजना है।
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