इमर्शन कूलिंग एक अत्याधुनिक तकनीक है, जिसमें डाटा सेंटर की सर्वर यूनिट्स को विशेष द्रव में डुबोकर ठंडा किया जाता है। यह पारंपरिक एयर-कूलिंग की तुलना में न केवल अधिक ऊर्जा-कुशल है, बल्कि पर्यावरण के लिए भी कम हानिकारक है। इस टेक्नोलॉजी के आने से मध्यप्रदेश न केवल भारत में बल्कि एशिया में भी ग्रीन डाटा सेंटर के लिए एक हब बन सकता है।
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने स्पष्ट किया कि यह सिर्फ एक MoU नहीं है, बल्कि यह मध्यप्रदेश के भविष्य को टेक्नोलॉजिकल और पर्यावरणीय रूप से उन्नत दिशा में ले जाने का रोडमैप है। उन्होंने कहा, “यह स्पीड और क्लैरिटी से यह सिद्ध होता है कि जब नेतृत्व नीति को दिशा देता है, तो निवेश अपने आप भरोसे से खिंचता है।” इस समझौते से यह भी संकेत मिलता है कि अब राज्य निवेशकों के लिए न केवल एक सुरक्षित, बल्कि भविष्य-उन्मुख गंतव्य बन रहा है।
Submer Technologies का यह पहला ऐसा MoU है जिसमें भारत के किसी राज्य सरकार के साथ साझेदारी की गई है। यह बताता है कि मध्यप्रदेश वैश्विक कंपनियों की नजर में भी एक महत्वपूर्ण भागीदार बन चुका है। MoU के अंतर्गत डाटा सेंटर इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास, तकनीकी ज्ञान का आदान-प्रदान, स्थानीय युवाओं को प्रशिक्षण और रोजगार के नए अवसर जैसे कई महत्वपूर्ण पहलू शामिल हैं।डिजिटल इंडिया और ग्रीन एनर्जी मिशन की दृष्टि से यह समझौता एक प्रेरणास्पद कदम है। यह साझेदारी न केवल डाटा स्टोरेज सेक्टर में ऊर्जा की खपत को कम करेगी, बल्कि कार्बन उत्सर्जन को भी घटाएगी, जिससे पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा।
इस ऐतिहासिक पहल से यह उम्मीद की जा रही है कि मध्यप्रदेश देश के अन्य राज्यों के लिए एक रोल मॉडल बनेगा, जो तकनीकी विकास के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण को भी प्राथमिकता देता है। भविष्य में इस तकनीक का विस्तार अन्य शहरों और सेक्टरों में भी हो सकता है।इस MoU के साथ मध्यप्रदेश ने एक नया अध्याय शुरू किया है, जो न केवल आज के लिए बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी प्रेरणास्रोत बनेगा।
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