पब्लिक फर्स्ट। उज्जैन। अमृत बैंडवाल ।

श्रावण मास के दूसरे सोमवार यानी 21 जुलाई 2025 को उज्जैन महाकालेश्वर मंदिर में परंपरागत भस्मारती का आयोजन धूमधाम से हुआ। हजारों श्रद्धालुओं सहित कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत अपने परिवार सहित आराधना में शामिल हुए। सुबह से ही मंदिरों में भक्तों की भीड़, पूजन-अर्चना और सवारी की भव्य तैयारियां। जानिए इस शुभ दिन का महत्व, पूजा विधि व शुभ मुहूर्त।

सुबह से उमड़ा भक्तों का सैलाब

सावन के दूसरे सोमवार को उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर सहित देशभर के शिवालयों में भक्तों का अपार उत्साह देखने को मिला। रात 2:30 बजे मंदिर के पट खुलते ही श्रद्धालुओं की लंबी कतारें लग गईं। सुबह 3 बजे से विशेष भस्मारती आरंभ हुई, जिसमें शंख, ढोल-नगाड़े और झांझ की मधुर ध्वनि के बीच बाबा महाकाल का भव्य श्रृंगार व पूजा संपन्न हुई। कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने भी नंदीहाल में बैठकर करीब दो घंटे तक आराधना की।

पूजा एवं अभिषेक की विधि

प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें

शिवलिंग पर गंगाजल, दूध, दही, घी, शहद और फलों के रस से अभिषेक करें

बेलपत्र, भांग, धतूरा, सफेद फूल, अक्षत अर्पित करें

‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जाप करें

भोलेनाथ को सफेद मिठाई का भोग लगाएं

आरती और व्रत कथा श्रवण करें

महत्व, योग व शुभ मुहूर्त

इस बार सावन के सोमवार पर सर्वार्थ सिद्धि और अमृत सिद्धि जैसे विशेष योग बने हैं। अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12:00 से 12:55 बजे और रात में अमृत सिद्धि योग भी बन रहा है, जिसमें पूजा अत्यंत शुभ मानी गई है।

बाबा महाकाल की सवारी

परंपरा के अनुसार शाम को बाबा महाकाल की सवारी नगर भ्रमण पर निकलेगी। मान्यता है कि इस भव्य सवारी के दर्शन मात्र से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। लाखों श्रद्धालु सड़कों के किनारे घण्टों इन्तजार करते हैं और इस अद्भुत दर्शन को ‘धन्यता’ मानते हैं।

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