HIGHLIGHT FIRST
- फलदार बागवानी से बदलेगी मप्र के किसानों की तक़दीर
मप्र के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में चलाए जा रहे ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान में इस बार नया फोकस सामने आया है — किसानों और निजी क्षेत्रों को जोड़कर पौधारोपण को हरियाली और आमदनी का द्विस्तरीय मॉडल बनाना।
मुख्यमंत्री ने अभियान की समीक्षा बैठक में स्पष्ट निर्देश दिए कि ऐसे पौधे लगाए जाएं जो कम लागत में ज्यादा लाभकारी हों, विशेषकर किसानों के लिए।
मुख्य बिंदु
1. किसान और निजी क्षेत्र की भागीदारी
• सरकार ने निजी कंपनियों, स्वयंसेवी संस्थाओं और व्यक्तिगत कृषकों को अभियान से जोड़ने के निर्देश दिए हैं।
• यह अभियान हरित मध्यप्रदेश के निर्माण के साथ-साथ ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी गति देगा।
2. बागवानी: कम लागत, दीर्घ लाभ
• बगीचा लगाने के इच्छुक किसानों को पौधे, तकनीकी मार्गदर्शन और अनुदान उद्यानिकी विभाग द्वारा उपलब्ध कराया जा रहा है।
• प्रति हेक्टेयर 40% तक की सब्सिडी और तकनीकी मदद दी जा रही है।
3. फलदार पौधों के विकल्प
• किसानों को विशेष रूप से आम, अमरूद, नींबू, अनार, पपीता, लीची, जामुन, इमली जैसे फलदार पौधे लगाने की सलाह दी जा रही है।
• ये पौधे 2–3 साल में फल देने लगते हैं और 15–20 साल तक स्थायी आय देते हैं।
4. पर्यावरण + आमदनी = दोहरा लाभ
• फलदार पौधों की देखभाल अपेक्षाकृत आसान और कम खर्चीली होती है।
• पारंपरिक फसलों की तुलना में कम पानी में भी बेहतर उत्पादन संभव है।
अभियान की आज की उपलब्धि
• भोपाल सहित पूरे प्रदेश में एक दिन में 12 लाख पौधों के रोपण का लक्ष्य।
• मुख्यमंत्री ने इसे “जन-आंदोलन” का स्वरूप देते हुए सभी नागरिकों से भागीदारी की अपील की।
जनहित सुझाव
“बगीचा लगाओ, जीवन सजाओ”: आय का नया और स्थायी विकल्प।
सरकारी योजनाओं का लाभ उठाएं: horticulture.mp.gov.in पर ऑनलाइन पंजीकरण करें।
प्राकृतिक संतुलन बनाए रखें: हर पेड़ आपकी संपत्ति है।
निष्कर्ष
‘एक पेड़ मां के नाम’ सिर्फ एक पर्यावरणीय अभियान नहीं, बल्कि एक आर्थिक और सामाजिक क्रांति का आगाज़ है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की नेतृत्व में यह पहल मध्यप्रदेश को हरियाली, समृद्धि और आत्मनिर्भरता की ओर ले जा रही है।
अब वक्त है — हर खेत, हर गांव में एक बागवानी की शुरुआत का।
