पब्लिक फर्स्ट । इस्लामाबाद । ब्यूरो ।
पाकिस्तान के सिंध प्रांत में स्थित ऐतिहासिक सिंधु डेल्टा एक भीषण जल संकट और पर्यावरणीय तबाही का शिकार हो चुका है। एक समय में जीवन और हरियाली से भरपूर यह क्षेत्र अब खारे समुद्री पानी, सूखी नदियों और उजड़े गांवों में बदल गया है। विशेषज्ञों के मुताबिक, सिंधु नदी के प्रवाह में 80% तक की कटौती से यह स्थिति बनी है।
पानी की भारी कमी और समुद्री खारा पानी:
1950 के दशक से अब तक सिंधु पर बनाए गए बांधों और नहरों ने डेल्टा की जीवनदायिनी धारा को रोक दिया है। इसके चलते अरब सागर का खारा पानी 100 किलोमीटर से अधिक अंदर तक घुस आया है, जिससे:
- मिट्टी खारी हो गई, फसलें उगाना नामुमकिन हो गया।
- 80% क्षेत्र में पीने का पानी भी नहीं बचा।
- मैंग्रोव जंगल और जलीय जीवन नष्ट होने की कगार पर हैं।
12 लाख लोग उजड़े, गांव वीरान:
पिछले दो दशकों में सिंधु डेल्टा से 12 लाख से अधिक लोग पलायन कर चुके हैं। हजारों मछुआरे परिवार अपने पुश्तैनी गांव छोड़कर कराची जैसे शहरों की ओर चले गए। 54 वर्षीय हबीबुल्लाह खट्टी जैसे स्थानीय निवासी बताते हैं, “गांव में सिर्फ 4 घर बचे हैं, बाकी सब उजड़ गए।”
मछलीपालन और खेती तबाह:
झींगे, केकड़े, मछलियां – सबकी आबादी गिर चुकी है। खेती और मछलीपालन, जो डेल्टा की आर्थिक रीढ़ थे, आज पूरी तरह खत्म हो गए हैं।
सरकारी प्रयास और चुनौतियां:
पाकिस्तान सरकार की ‘लिविंग इंडस इनिशिएटिव’ योजना के अंतर्गत मैंग्रोव संरक्षण और रेगिस्तानीकरण रोकने के प्रयास किए जा रहे हैं। लेकिन जब तक सिंधु में पर्याप्त पानी छोड़ा नहीं जाएगा, तब तक इस आपदा से उबरना संभव नहीं।
