पब्लिक फर्स्ट। छतरपुर । उदय नारायण अवस्थी ।
आजादी के 77 साल बाद भी छतरपुर जिले की चंदला तहसील के अंतर्गत आने वाली रानीपुर पंचायत का कोरिन पुरवा गाँव बुनियादी सुविधाओं से वंचित है। करीब 500 की आबादी वाला यह गाँव आज भी पक्की सड़क से जुड़ नहीं पाया है। यहाँ तक पहुँचने के लिए केवल कच्चे रास्ते हैं, जो बरसात में दलदल और कीचड़ से भर जाते हैं।
बरसात बनी मुसीबत
बरसात के मौसम में हालात और खराब हो जाते हैं।
- कच्चे रास्ते कीचड़ और गड्ढों से भरकर गाँव का बाहरी दुनिया से संपर्क काट देते हैं।
- स्कूल जाने वाले बच्चों को समय पर पहुँचना मुश्किल हो जाता है।
- गर्भवती महिलाओं और बीमार मरीजों को अस्पताल तक ले जाना कठिन या कभी-कभी असंभव हो जाता है।
- कई मकान बारिश से ढह चुके हैं, जिससे ग्रामीणों को भारी नुकसान उठाना पड़ा।
- पानी भराव की समस्या भी पूरे गाँव को प्रभावित करती है।
ग्रामीणों की पीड़ा
ग्रामीणों का कहना है कि आज़ादी से लेकर अब तक सड़क निर्माण की मांग अनसुनी रही है। कई बार पंचायत और प्रशासन को अवगत कराया गया, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
गाँववालों ने बताया:
- “हमारे बच्चे शिक्षा से वंचित हो रहे हैं।”
- “बीमारी के समय मरीजों को ले जाना बड़ी चुनौती है।”
- “खेती-किसानी और रोज़मर्रा का जीवन बुरी तरह प्रभावित है।”
सामाजिक-आर्थिक असर
- शिक्षा पर नकारात्मक असर – बच्चे नियमित रूप से स्कूल नहीं जा पाते।
- स्वास्थ्य सेवाएँ बाधित – आपातकाल में समय पर इलाज नहीं मिल पाता।
- खेती और रोजगार प्रभावित – परिवहन सुविधाओं की कमी से बाजार तक पहुँचने में कठिनाई।
- विकास की मुख्यधारा से कटाव – गाँव अब भी पिछड़ेपन की मार झेल रहा है।
प्रशासनिक उदासीनता
ग्रामीणों का आरोप है कि ग्राम पंचायत और संबंधित विभाग वर्षों से सिर्फ आश्वासन देते आए हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर कोई पहल नहीं हुई। यह समस्या सरकारी योजनाओं और प्रशासनिक लापरवाही की पोल खोलती है।
निष्कर्ष
कोरिन पुरवा गाँव आज भी सड़क, जल निकासी और आपातकालीन परिवहन जैसी बुनियादी सुविधाओं से वंचित है।
500 की आबादी वाला यह गाँव इस बात का उदाहरण है कि किस तरह ग्रामीण क्षेत्र अब भी सरकारी योजनाओं से दूर हैं।
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