पब्लिक फर्स्ट। उज्जैन। अमृत बैंडवाल ।
उज्जैन से रिपोर्टर अमृत बैंडवाल के अनुसार, भाद्रपद माह की अमावस्या तिथि पर शनिचरी अमावस्या पर्व का भव्य आयोजन किया गया। यह पर्व 22 अगस्त की दोपहर 11:55 बजे से प्रारंभ होकर 23 अगस्त की सुबह 11:35 बजे तक चला। शनिवार के दिन पड़ने के कारण इसे विशेष रूप से शनिचरी अमावस्या कहा गया, जिसमें भगवान शनि देव की पूजा और स्नान का विशेष महत्व माना जाता है।
श्रद्धालुओं की भीड़ और स्नान का महत्व
उज्जैन के शिप्रा नदी के त्रिवेणी घाट पर श्रद्धालु रात 12 बजे के बाद से ही जुटने लगे थे। श्रद्धालुओं ने स्नान कर शनि देव और नवग्रह की पूजा-अर्चना की। नगर प्रशासन ने घाटों पर विशेष व्यवस्था की थी। स्नान के लिए फव्वारे और सुरक्षा इंतज़ाम किए गए थे।
नवग्रह शनि मंदिर को आकर्षक फूलों से सजाया गया। शनि महाराज का विशेष श्रृंगार कर उन्हें राजा के रूप में पगड़ी पहनाई गई।
धार्मिक मान्यताएँ और परंपराएँ
- मान्यता है कि इस दिन स्नान के बाद कपड़े और जूते घाट पर छोड़ देने से घर में सुख-समृद्धि आती है और जीवन की बाधाएँ दूर होती हैं।
- श्रद्धालुओं ने पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण और श्राद्ध कर्म भी किया।
- ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इस दिन शनि की साढ़ेसाती, पितृ दोष और कालसर्प योग से मुक्ति पाने के लिए शनि देव की पूजा करना अत्यंत लाभकारी होता है।
सुरक्षा और प्रशासनिक व्यवस्थाएँ
एसडीएम पवन बारिया ने जानकारी दी कि लाखों श्रद्धालुओं ने स्नान और दर्शन किए।
- घाटों पर पुलिस बल की तैनाती की गई थी।
- पूरे क्षेत्र में सीसीटीवी निगरानी की गई।
- नदी में एनडीआरएफ की टीम नावों से लगातार निगरानी कर रही थी ताकि किसी प्रकार की अनहोनी न हो।
शनि अमावस्या का महत्व
शनिचरी अमावस्या उन श्रद्धालुओं के लिए विशेष फलदायी मानी जाती है जिन पर शनि की साढ़ेसाती या पितृ दोष हो। इस दिन शनि देव को प्रसन्न करने के लिए स्नान, दान और पूजा करना जीवन में सुख-समृद्धि और कष्टों से मुक्ति दिलाने वाला माना जाता है।
उज्जैन में इस धार्मिक पर्व के दौरान उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़ और भव्य आयोजन ने इस आस्था पर्व को और भी ऐतिहासिक बना दिया।
