HIGHLIGHTS FIRST :
- जंगली जानवरों से फसल सुरक्षित – अब आधा खर्च सरकार देगी
- मप्र के 19 जिलों में किसानों को बड़ी राहत – जाली अनुदान योजना
- फल, फूल, सब्जी और मसाले के किसानों को 50% सब्सिडी
किसानों के लिए खुशखबरी
मध्यप्रदेश सरकार ने किसानों की फसलों को जंगली जानवरों से बचाने के लिए “राष्ट्रीय बागवानी एकीकृत विकास कार्यक्रम” के तहत नई योजना शुरू की है। इस योजना में खेतों के चारों ओर जाली लगाने पर कुल खर्च का 50% अनुदान दिया जाएगा।
सरकार का मानना है कि नीलगाय, सूअर, बंदर जैसे जंगली जानवर किसानों की मेहनत पर पानी फेर देते हैं। अब इस योजना से किसानों की फसल सुरक्षित रहेगी, उत्पादन बढ़ेगा और आय में सुधार होगा।
अनुदान और खर्च का हिसाब:
• खेतों में गेलवनाइज्ड जाली लगाने का औसत खर्च ₹300 प्रति मीटर है।
• उदाहरण: 1000 मीटर जाली का खर्च लगभग ₹3 लाख।
• इसमें से सरकार देगी ₹1.5 लाख, और किसान को खुद खर्च करना होगा सिर्फ ₹1.5 लाख।
कौन ले सकता है योजना का लाभ?
• फल, फूल, सब्जी और मसाले की खेती करने वाले किसान।
• किसान के पास अपनी जमीन होना जरूरी।
• जाली लगाने लायक पर्याप्त क्षेत्र होना चाहिए।
कैसे करें आवेदन?
किसान योजना का लाभ लेने के लिए म.प्र. उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग की आधिकारिक वेबसाइट mpfsts.mp.gov.in पर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।
इसके लिए चाहिए:
• आधार कार्ड
• भूमि स्वामित्व प्रमाण पत्र (बी-1 खसरा/पावती)
• बैंक पासबुक
• पासपोर्ट साइज फोटो
• जाति प्रमाण पत्र (यदि लागू हो)
• मोबाइल नंबर
चयन प्रक्रिया: आवेदनकर्ताओं का चयन ऑनलाइन लॉटरी से होगा, जिससे पारदर्शिता बनी रहे।
कहाँ-कहाँ लागू हुई योजना?
योजना की शुरुआत जुलाई 2025 से की गई है और फिलहाल 19 जिलों में लागू है:
शहडोल, अनूपपुर, उमरिया, बालाघाट, बैतूल, सीहोर, उज्जैन, रायसेन, ग्वालियर, आगर मालवा, धार, झाबुआ, रतलाम, नीमच, निवाड़ी, मंडला, सागर, अशोकनगर, शिवपुरी।
जल्द ही इसे पूरे प्रदेश में लागू करने की तैयारी है।
योजना का महत्व:
• छोटे और मध्यम किसानों को बड़ी राहत।
• अब जंगली जानवरों से फसलें सुरक्षित रहेंगी।
• किसानों की आर्थिक स्थिति सुधरेगी और उत्पादन बढ़ेगा।
निष्कर्ष:
मध्यप्रदेश सरकार की यह योजना किसानों को न केवल आर्थिक सहयोग देगी बल्कि उन्हें अपनी मेहनत का बेहतर फल भी दिलाएगी। खेती सुरक्षित होगी तो किसान खुशहाल होंगे और प्रदेश की कृषि शक्ति और मजबूत होगी।
किसान फ़र्स्ट ।
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