पब्लिक फर्स्ट। नई दिल्ली।
पिछले साल बाली में G20 समिट के दौरान PM मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच मुलाकात हुई थी। इस दौरान दोनों नेताओं ने हाथ मिलाए थे। इस मुलाकात में दोनों के बीच क्या बातचीत हुई थी इसकी जानकारी अब विदेश मंत्रालय ने दी है।
मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने बताया कि डिनर के दौरान मोदी और जिनपिंग ने द्विपक्षीय संबंधों को स्थिर करने पर चर्चा की थी। बागची ने कहा- भारत का फोकस हमेशा LAC पर चीन के साथ विवाद सुलझाने में रहा है। हम बॉर्डर पर तनाव खत्म करके आसपास के क्षेत्रों में शांति स्थापित करना चाहते हैं। यही इस मसले का समाधान हो सकता है।
8 महीने बाद विदेश मंत्रालय ने पुष्टि की
G20 समिट के 8 महीने बाद विदेश मंत्रालय ने ये घोषणा तब की जब 2 दिन पहले चीन के विदेश मंत्रालय ने दावा किया था कि दोनों देशों के नेताओं के बीच नवंबर 2022 में द्विपक्षीय संबंधों पर चर्चा हुई थी। बागची ने आगे कहा- G20 मीटिंग के बाद विदेश सचिव ने ब्रीफिंग दी थी। शायद उन्होंने इसका दूसरा भाग नहीं बताया होगा।
डिनर के वक्त दोनों नेताओं ने एक-दूसरे का अभिवादन किया था और इसी दौरान उनके बीच द्विपक्षीय संबंधों को लेकर सामान्य चर्चा हुई थी। बागची से ये भी पूछा गया कि क्या चीन के राष्ट्रपति जिनपिंग दिल्ली में होने वाली जी-20 समिट में शामिल होंगे। इस पर उन्होंने कहा- भारत सभी आमंत्रित नेताओं की भागीदारी और समिट कीकी सफलता के लिए पूरी कोशिश कर रहा है।
चीन ने मोदी-जिनपिंग के बीच बातचीत का दावा किया था
दरअसल, जोहान्सबर्ग में दो दिन पहले राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और चीनी राजनयिक वांग यी की मुलाकात हुई थी। इस दौरान डोभाल ने कहा था कि साल 2020 से LAC के हालातों ने भारत-चीन के बीच रणनीतिक विश्वास को खत्म कर दिया है।
वहीं, वांग यी ने दावा किया था कि पिछले साल बाली में हुई बैठक के दौरान PM मोदी और राष्ट्रपति जिनपिंग के बीच द्विपक्षीय संबंधों को फिर से शुरू करने को लेकर सहमति बनी थी। जोहान्सबर्ग में फ्रेंड्स ऑफ ब्रिक्स मीटिंग के दौरान चीन की इलेक्ट्रिक व्हीकल कंपनी BYD मोटर्स का भारत में प्लांट लगाने का प्रस्ताव खारिज होने के बाद वांग यी ने इस पर दोबारा विचार करने की अपील की थी।
वांग यी ने कहा था- भारत और चीन एक दूसरे के दुश्मन नहीं है और नई दिल्ली को अपने फैसले पर दोबारा विचार करना चाहिए। दोनों देश चाहे एक-दूसरे का समर्थन करें या विरोध, इसका सीधा असर भारत-चीन के विकास और वैश्विक परिदृश्य पर पड़ेगा।
जयशंकर ने कहा था- भारत-चीन बॉर्डर विवाद सबसे कठिन चैलेंज
कुछ दिन पहले ही विदेश मंत्री एस जयशंकर भी ब्रिक्स की एक मीटिंग में शामिल हुए थे। इस दौरान भी उनकी वांग यी के साथ बॉर्डर विवाद और शांति प्रयासों को लेकर चर्चा हुई थी। तब जयशंकर ने भारत-चीन बॉर्डर पर पिछले 3 सालों से जारी तनाव को अपने करियर का सबसे कठिन डिप्लोमैटिक चैलेंज बताया था।
गलवान झड़प के बाद बढ़ा तनाव
भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी पर करीब 3 साल पहले 2020 में हिंसक झड़प हुई थी। इसमें भारत के 20 जवान शहीद हो गए थे, जबकि 38 चीनी सैनिक मारे गए थे।हालांकि, चीन इसे लगातार छिपाता रहा।
गलवान घाटी पर दोनों देशों के बीच 40 साल बाद ऐसी स्थिति पैदा हुई थी। गलवान पर हुई झड़प के पीछे की वजह यह थी कि गलवान नदी के एक सिरे पर भारतीय सैनिकों अस्थाई पुल बनाने का फैसला लिया था। चीन ने इस क्षेत्र में अवैध रूप से बुनियादी ढांचे का निर्माण करना शुरू कर दिया था। साथ ही, इस क्षेत्र में अपने सैनिकों की संख्या बढ़ा रहा था।