पब्लिक फर्स्ट।

आतंकी संगठन अल-कायदा जम्मू-कश्मीर, बांग्लादेश और म्यांमार में अपनी पैठ जमाने की कोशिश कर रहा है, जिससे वो आतंकी ऑपरेशन्स को अंजाम दे सके। UN की एक रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है। इसके लिए संगठन अफगानिस्तान में तालिबान से रिश्ते बेहतर करने पर फोकस कर रहा है। अल-कायदा और इस्लामिक स्टेट के ऑपरेशन्स पर नजर रखने वाली UNSC की टीम ने ये रिपोर्ट जारी की है।

रिपोर्ट के मुताबिक, इंडियन सब-कॉन्टिनेंट में अल-कायदा के एक संगठन AQIS(अल-कायदा इन इंडियन सब-कॉन्टिनेंट) के 200 लड़ाके मौजूद हैं। इनका लीडर आतंकी ओसामा महमूद है। वहीं अफगानिस्तान में इस संगठन के 400 लड़ाके हैं। UN के एक मेंबर स्टेट ने दावा किया है कि AQIS क्षेत्र में ISIS के खोरासान प्रॉविंस (ISIL-K) से जुड़ने के लिए तैयार है।

पाकिस्तान में हमले करने के लिए TTP की मदद कर रहा AQIS
वहीं एक स्टेट ने दावा किया है कि ये संगठन TTP में शामिल होकर तालिबान का समर्थन हासिल करने की कोशिश कर रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक, AQIS लगातार TTP को पाकिस्तान में ज्यादा से ज्यादा आतंकी हमले करने में मदद कर रहा है।

अफगानिस्तान में ISIL-K के 6 हजार आतंकी
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ISIL-K से जुड़े करीब 6 हजार आतंकी और उनके परिजन अफगानिस्तान में हैं। वे लगातार अपनी क्षमताएं बढ़ा रहे हैं। अलकायदा और ISIL-K को मिलाकर अफगानिस्तान में कुल 20 आतंकी संगठन सक्रिय होने का अनुमान है। इनका लक्ष्य मौका मिलते ही नए क्षेत्रों में अपनी पैठ बनाना है।

अगस्त 2021 में अफगानिस्तान की सत्ता पर कब्जा करने वाले तालिबान और अल-कायदा के बीच संबंध गहरे संबंध हैं। हालांकि, UN रिपोर्ट के मुताबिक, अल-कायदा अफगानिस्तान में गुप्त रूप से काम करता है, जिससे तालिबान पर ये आरोप न लग सके कि वो अफगानिस्तान का इस्तेमाल आतंकी गतिविधियों को बढ़ाने में कर रहा है। इससे दुनिया में उसे अफगानिस्तान की सरकार के तौर पर मंजूरी मिलने में मदद मिलेगी।

कैसे बना अल कायदा?
अल-कायदा का अरबी में मतलब ‘आधार’ होता है। 1980 के दशक में अफगानिस्तान पर सोवियत संघ का कब्जा था, उस दौर में सोवियत संघ को अफगानिस्तान से बाहर निकालने के लिए कई संगठन बने। इन संगठनों को अमेरिकी खुफिया एजेंसी CIA और पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI का समर्थन था।

इनमें से एक अल-कायदा भी था। ओसामा बिन लादेन ने इसका गठन किया था। उसे सोवियत संघ के खिलाफ लड़ रहे मुजाहिद्दीनों का भी समर्थन था।

publicfirstnews.com

Share.

Comments are closed.