पब्लिक फर्स्ट। काबुल।

तालिबान बोला- ये इस्लामिक कानून के खिलाफ, इससे विभाजन की भावना बढ़ती है
अफगानिस्तान में तालिबान ने सभी राजनीतिक दलों पर बैन लगा दिया है। तालिबान के मुताबिक, ये शरिया (इस्लामिक) कानून के खिलाफ है। तालिबान सरकार में मिनिस्टर ऑफ जस्टिस अब्दुल हकीम शरेई ने कहा- मुस्लिमों के लिए बना शरिया कानून ही उनके जीवन का आधार होता है। इस कानून में पॉलिटिकल पार्टीज का कोई वजूद नहीं है।

वॉइस ऑफ अमेरिका के मुताबिक, काबुल में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान जस्टिस मिनिस्टर ने कहा- शरिया में राजनीतिक दलों की कोई जगह नहीं है। इसे देश के हित में नहीं माना जाता है और न ही देश इसे पसंद करता है।

तालिबान के सत्ता में आने पर करीब 70 राजनीतिक दलों ने जस्टिस मिनिस्ट्री में रजिस्टर करवाया था। उस वक्त तालिबान ने इन्हें बैन करने के संबंध में कुछ नहीं कहा था। अफगानिस्तान में तालिबान सरकार के एक कमेंटटेर तोरेक फरहादी ने कहा- तालिबान ने खाड़ी देशों को आधार बनाकर ये फैसला लिया है।

देश के भविष्य से जुड़ी चर्चाओं में शामिल हो महिलाएं
फरहादी ने कहा- देश को जरूरत है कि भविष्य से जुड़ी चर्चाओं में महिलाएं और हर क्षेत्र के लोग शामिल हों। ये भले ही राजनीतिक तौर पर गलत लगे, लेकिन पॉलिटिकल पार्टीज की वजह से देश में विभाजन की भावना बनती है, जो विकास के लिए सही नहीं है। तालिबान ने ये फैसला अपने सत्ता में लौटने की दूसरी सालगिरह के 1 दिन बाद लिया।

15 अगस्त को अफगानिस्तान में तालिबान की वापसी को 2 साल पूरे हो गए थे। अल जजीरा के मुताबिक, इस मौके पर वहां सरकारी छुट्टी घोषित की गई थी। तालिबान सरकार इस दिन को सत्ता में वापसी और इस्लामिक कानून के तहत देश की रक्षा करने के दिन के रूप में मनाती है।

तालिबान की वापसी को 2 साल पूरे
मंगलवार को तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने कहा था- हम काबुल पर जीत की दूसरी सालगिरह पर अफगानिस्तान और यहां के लोगों को बधाई देना चाहते हैं। अल्लाह की मदद से ही हम ये जीत हासिल कर सकते हैं।

मुजाहिद ने कहा था- अब जब देश में पूरी तरह से सुरक्षा सुनिश्चित की जा चुकी है, हम एक लीडरशिप के नेतृत्व में रह रहे हैं। देश में हर जगह इस्लामिक सिस्टम के आधार पर काम किया जाता है और इसी के हिसाब से फैसले भी लिए जाते हैं।

तालिबान 2.0 में महिलाओं पर लगी पाबंदियां
तालिबान ने 15 अगस्त 2021 को काबुल के साथ ही पूरे अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया था। इसके बाद से उसने लड़कियों और महिलाओं की शिक्षा और नौकरी से जुड़े तमाम अधिकार छीन लिए हैं। अफगानिस्तान की महिला अधिकार कार्यकर्ता खदीजा अहमदी ने बताया कि तालिबान ने महिलाओं को जज या वकील के रूप में कोर्ट में प्रैक्टिस करने से रोक दिया है।

सत्ता पर कब्जा करने से पहले अफगानिस्तान में लगभग 300 महिला जज थीं। तालिबान के चलते इन सभी को देश से निकलना पड़ा। तालिबान ने लड़कियों की की तमाम तरह की एजुकेशन को बैन कर दिया है। महिलाओं के मस्जिदों में जाने और उनके ब्यूटी पार्लर पर भी बैन लगा दिया गया है।

publicfirstnews.com

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