पब्लिक फर्स्ट । भोपाल ।

मप्र के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने काल गणना को लेकर, विधानसभा में बड़ा बयान दिया । इस बयान के बाद एक बार फिर भारतीय सनातन संस्कृति की गणनाओं पर गर्व होने लगा है । साथ ही इस बात की हैरानी भी हो रही है कि कैसै वर्षों तक पूरी दुनिया में पनपे पंथ और विचार, भारतीय सनातन संस्कृति से ही चोरी कर अपना लेबल लगाते रहे ।
अब ये भी समझ आ रहा है कि क्यों भारत की समृद्ध पुस्तकालयों और विज्ञान आधारित मंदिरों को तहस नहस किया गया ।

नीचे लिखी पोस्ट, एक फ़ेसबुक पोस्ट से ली गई है जो कि बेहद ज्ञानवर्धक है इसलिये पाठकों के लिये इसे जस की तस कॉपी पेस्ट कर रहे है ।

AM – PM हमारा था – जानिए सही अर्थ

समयसूचक AM और PM का उद्गगम भारत ही था, लेकिन हमें बचपन से यह रटवाया गया, विश्वास दिलवाया गया कि इन दो शब्दों AM और PM का मतलब होता है :
AM : Ante Meridian PM : Post Meridian
एंटे यानि पहले, लेकिन किसके? पोस्ट यानि बाद में, लेकिन किसके?
यह कभी साफ नहीं किया गया, क्योंकि यह चुराये गये शब्द का लघुतम रूप था।काफ़ी अध्ययन करने के पश्चात ज्ञात हुआ और हमारी प्राचीन संस्कृत भाषा ने इस संशय को साफ-साफ दृष्टिगत किया है। कैसे? देखिये…
AM = आरोहनम् मार्तण्डस्य Aarohanam Martandasya
PM = पतनम् मार्तण्डस्य Patanam Martandasya

सूर्य, जो कि हर आकाशीय गणना का मूल है, उसी को गौण कर दिया। अंग्रेजी के ये शब्द संस्कृत के उस वास्तविक ‘मतलब’ को इंगित नहीं करते।
आरोहणम् मार्तण्डस्य यानि सूर्य का आरोहण (चढ़ाव)।
पतनम् मार्तण्डस्य यानि सूर्य का ढलाव।
बारह बजे के पहले सूर्य चढ़ता रहता है – ‘आरोहनम मार्तण्डस्य’ (AM)।
बारह के बाद सूर्य का अवसान/ ढलाव होता है – ‘पतनम मार्तण्डस्य’ (PM)।
पश्चिम के प्रभाव में रमे हुए और पश्चिमी शिक्षा पाए कुछ लोगों को भ्रम हुआ कि समस्त वैज्ञानिकता पश्चिम जगत की देन है।

हम अपनी हजारों साल की समृद्ध विरासत, परंपराओं और संस्कृति का पालन करते हुए भी आधुनिक और उन्नत हो सकते हैं।इस से शर्मिंदा न हों बल्कि इस पर गौरव की अनुभूति करें और केवल नकली सुधारवादी बनने के लिए इसे नीचा न दिखाएं।समय निकालें और इसके बारे में पढ़ें / समझें / बात करें / जानने की कोशिश करें।
अपने “सनातनी” होने पर । publicfirstnews.com

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