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चुनाव से पहले टेंशन में कांग्रेस
देश में लोकसभा चुनाव की हलचल तेज है। बीजेपी ने इस बार 400 पार का टारगेट सेट किया है। पीएम मोदी खुद चुनावी मैदान में है। उधर कांग्रेस को चुनाव से पहले ही एक के बाद झटके लग रहे हैं। कांग्रेस के दिग्गज नेताओं का पार्टी से मोह भंग हो रहा है। वहीं इंडिया गठबंधन से भी कुछ साथी छिटक गए हैं। कांग्रेस ने पिछले साल दिसंबर में हुए विधानसभा चुनावों में जीत की उम्मीद में 2024 के लोकसभा चुनावों समेत अपना पूरा भविष्य दांव पर लगा दिया था। लेकिन कांग्रेस के लिये चुनाव परिणाम बेहद निराशाजनक रहे।
इसके बाद कांग्रेस में अब ऐसी फूट पड़ गई है जो कि रोके से नही रुक पा रही है।
राहुल गांधी ने गंवाया मौका
ये बात जरुर है कि , कर्नाटक में जीत के बाद जब कांग्रेस का भाग्य फिर से अच्छा लगने लगा, तो राहुल गांधी की लंबी दाढ़ी और अडानी-मोदी पर उनके हमले सुर्खियों में छाए रहे। लेकिन इस दौरान कांग्रेस ने असली मुद्दों पर ध्यान नहीं दिया गया। इंडिया ब्लॉक चाहता था कि सीटों का बंटवारा हो और पूरे देश में मिलकर चुनाव लड़ा जाए। लेकिन कांग्रेस ने इस पर टाल-मटोल की, क्योंकि उसे लगा कि मध्य प्रदेश-छत्तीसगढ़-राजस्थान-तेलंगाना चुनाव जीतने के बाद वो बेहतर सौदा कर सकती है। लेकिन चुनाव हारने के बाद, सहयोगी दलों ने कांग्रेस को रैलियों और सीट-बंटवारे में देरी करने के लिए जिम्मेदार ठहराया, जिससे गठबंधन की रफ्तार धीमी हो गई।
गठबंधन से कतरा रहे दल
नीतीश कुमार और आरएलडी बीजेपी के साथ चले गए। ममता बनर्जी और नेशनल कॉन्फ्रेंस अब कांग्रेस के साथ नहीं जुड़ना चाहते। यहां तक कि महाराष्ट्र जैसे राज्यों में भी, जहां शरद पवार और उद्धव ठाकरे गठबंधन के लिए तैयार हैं, और झारखंड और बिहार में झामुमो और आरजेडी के तेजस्वी यादव के साथ, कोई अंतिम फैसला नहीं हुआ है। अब कोई भी गठबंधन देरी से होगा, जबकि बीजेपी पहले से ही अपनी रणनीति और चुनाव अभियान पर जोर दे रही है। ऐसे में कांग्रेस के लिये लोकसभा चुनाव जीतने से ज्यादा अपने अस्तित्व को बचाने की चुनौती है। publicfirstnews.com