• इस्लाम में चार महिलाओं से शादी अनिवार्य नही है।
पब्लिक फर्स्ट। गुवाहाटी।


असम सरकार ने असम मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण कानून 1930 को निरस्त कर दिया। यह निर्णय मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा की अध्यक्षता में राज्य मंत्रिमंडल की बैठक के दौरान लिया गया। असम सरकार ने इसे समान नागरिक संहिता की दिशा में एक बड़ा कदम बताया।

असम सरकार के मुताबिक़ ..मुस्लिम विवाह और तलाक से संबंधित सभी मामले अब स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत आएंगे। मुस्लिमों के विवाह और तलाक को पंजीकृत करने की जिम्मेदारी जिला आयुक्त और जिला रजिस्ट्रार की होगी। निरस्त हो चुके कानून के तहत 94 मुस्लिम रजिस्ट्रारों को भी उनके पदों से मुक्त कर दिया जाएगा। इसके लिये उन्हें एकमुश्त दो लाख रुपये का मुआवजा मिलेगा।

असम सरकार ने बहुविवाह रोकने के लिए कानून बनाने की तैयारी काफी पहले से कर ली थी। राज्य सरकार ने इसके लिए हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त जज वाली एक विशेष समिति बनाई थी। समिति की रिपोर्ट के अनुसार, इस्लाम में मुस्लिम पुरुषों की चार महिलाओं से शादी परंपरा अनिवार्य नहीं है।

हालांकि, ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट के चीफ मौलाना बदरुद्दीन अजमल ने सरकार के इस फैसले पर आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा कि बहुविवाह केवल मुसलमानों में नहीं है इसलिये केवल मुसलमानों को टारगेट करना सही नहीं है।

माना जा रहा है कि, इस एक्ट के खत्म होने से मुस्लिम महिलाओं को काफी राहत मिलेगी और उन पर होने वाले अत्याचारों को रोकने में बड़ी सफलता मिलेगी। लेकिन असम सरकार के इस कदम से इस्लामिक कट्टरपंथी जरुर तिलमिला रहे है। publicfirstnews.com

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