HIGHLIGHT :

  • सुप्रीम कोर्ट का निर्देश: NEET PG अब एक ही शिफ्ट में आयोजित होगा।
  • छात्रों की याचिका सफल: दो शिफ्ट से डिफिकल्टी लेवल में भेदभाव होता है।
  • SC की सख्ती: नॉर्मलाइजेशन सिर्फ अपवाद के मामलों में लागू हो।
  • परीक्षा तिथि: 15 जून 2024, एडमिट कार्ड जारी होंगे 2 जून को।
  • NBE पर कोर्ट की टिप्पणी: ऑनलाइन परीक्षा की क्या ज़रूरत?

NEET PG परीक्षा एक ही शिफ्ट में आयोजित की जाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को यह आदेश दिया। छात्रों ने 2 शिफ्ट में परीक्षा के खिलाफ याचिका दाखिल की थी। उनका कहना था कि 2 शिफ्ट में एग्‍जाम से क्‍वेश्‍चन पेपर के डिफिकल्‍टी लेवल में फर्क होता है, जो फेयर इवैल्‍युएशन नहीं है। परीक्षा में हासिल किए गए नंबर्स में भी फर्क आ जाता है।

NEET PG एग्‍जाम 15 जून को होना है जिसके लिए एडमिट कार्ड 2 जून को जारी होंगे। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने मामले की जल्‍द सुनवाई की है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा- नॉर्मलाइजेशन एक्‍सेप्‍शनल केसेज के लिए

बेंच ने कहा- ये तर्क माना नहीं जा सकता कि एग्‍जाम कराने के लिए NBE (नेशनल बोर्ड ऑफ एग्‍जामिनेशन) को पर्याप्‍त सेंटर नहीं मिले। 2 शिफ्ट में एग्‍जाम कराना फेयर नहीं है। दो पेपर्स का डिफिकल्‍टी लेवल कभी एक जैसा नहीं हो सकता। नॉर्मलाइजेशन का इस्‍तेमाल एक्‍सेप्‍शनल केसेज में होना चाहिए, न कि रूटीन परीक्षाओं में।

इस साल का एग्‍जाम 15 जून को होना है। अभी भी एग्‍जामिनेशन बॉडी तय करने और सेंटर्स चुनने के लिए 2 सप्‍ताह से ज्‍यादा का समय बाकी है। इसके बावजूद अगर और समय की जरूरत होती है तो आवेदन कर सकते हैं।

कोर्ट रूम LIVE…

याचिकाकर्ता के वकील – NEET UG का एग्‍जाम भी एक ही शिफ्ट में होता है, जबकि इसमें स्‍टूडेंट्स की संख्‍या बहुत ज्‍यादा है।

NBE – अगर वाकई कोई समस्‍या है, तो और स्‍टूडेंट्स ने शिकायत क्‍यों नहीं की?

सुप्रीम कोर्ट बेंच (NBE से)- आपको ऑनलाइन एग्‍जाम लेने की क्‍या जरूरत है? ये साधारण MCQ टाइप एग्‍जाम है।

NBE – पेपर का फॉर्मेट नेशनल मेडिकल कमीशन के कंसल्‍टेशन से तैयार किया गया है। 2.5 लाख में से कुछ ही स्‍टूडेंट्स ने शिकायत की है। अगर परीक्षा एक ही शिफ्ट में कराएंगे तो इसमें परेशानी हो सकती है। एग्‍जाम तय शेड्यूल पर नहीं हो पाएगा।

याचिकाकर्ता के वकील – TCS जैसे संस्‍थान परीक्षा कराने के लिए सेंटर उपलब्‍ध करा सकते हैं।

NBE – इससे केवल कैंडिडेट्स का ही नुकसान होगा। क्‍योंकि फिर हम समय पर सेशन शुरू नहीं कर पाएंगे। एग्‍जाम 15 जुलाई को होना है। सभी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। इस समय पर अगर एग्‍जाम पर स्‍टे लगता है तो पूरा सेशन लेट होगा।

दोनों सेशन के क्‍वेश्‍चन पेपर का डिफिकल्‍ट लेवल एक ही रखा गया है। इसके बाद नॉर्मलाइजेशन भी होता है। ऐसे में अगर डिफिकल्‍टी लेवल में थोड़ा फर्क भी हुआ, तो स्‍कोर नॉर्मलाइज हो जाएंगे।

सुप्रीम कोर्ट बेंच – डिफिकल्‍टी लेवल एक कैसे हो सकता है? ये दो अलग-अलग क्‍वेश्‍चन पेपर हैं। डिफिकल्‍टी लेवल कभी एक नहीं हो सकता।

NBE – हम किसी भी स्‍टूडेंट्स के साथ अन्‍याय नहीं कर रहे हैं। इस एग्‍जाम के लिए भी हमारे पास ल‍िमिटेड सेंटर्स हैं। इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर, वाई-फाई, अच्‍छे कम्‍प्‍यूटर, सिक्‍योरिटी वगैरह सबका ध्‍यान रखा गया है। सभी परेशानियों को ध्‍यान में रखकर ये बेस्‍ट सॉल्‍यूशन निकाला गया है।

सुप्रीम कोर्ट बेंच – अंडरग्रेजुएट (NEET UG) एग्‍जाम में तो स्‍टूडेंट्स की संख्‍या कहीं ज्‍यादा होती है? आप 2 शिफ्ट में एग्‍जाम क्‍यों करा रहे हैं?

NBE – ये एक ऑनलाइन एग्‍जाम है। 2024 में NEET UG को गड़बड़ियों की वजह से कैंसिल करना पड़ा था। ऑनलाइन एग्‍जाम के लिए सीमित सेंटर्स होते हैं। ऐसे सभी बड़े एग्‍जाम्स जिसमें स्‍टूडेंट्स ज्‍यादा होते हैं, वो ऐसे ही कंडक्‍ट कराया जाता है।

याचिकाकर्ता के वकील – इस एग्‍जाम से ही स्‍टूडेंट्स अपनी स्‍ट्रीम चुनते हैं। एक-एक नंबर से स्‍ट्रीम बदल सकती है। रेडियोलॉजी, गाइनोकोलॉजी जैसे स्‍ट्रीम का डिसीजन एक-एक मार्क से होता है। एक नंबर भी कम हुआ तो पसंद का कॉलेज नहीं मिलेगा।

सुप्रीम कोर्ट – NEET PG परीक्षा एक ही शिफ्ट में आयोजित की जाए। इसके लिए एग्‍जाम सेंटर्स की गिनती बढ़ाई जा सकती है। संबंधित अधिकारी इस बात का ध्‍यान रखें कि एग्‍जाम में पूरी ट्रांसपेरेंसी हो।

22 मई को कोर्ट ने जारी किए थे ट्रांसपेरेंसी के निर्देश

एग्‍जाम में ट्रांसपेरेंसी की मांग वाली याचिका पर ही सुप्रीम कोर्ट ने 22 मई को सुनवाई की थी। इस सुनवाई में सभी प्राइवेट और डीम्‍ड मेडिकल यूनिवर्सिटीज को अपनी फीस डिटेल्‍स जारी करने का निर्देश दिया था।

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