उज्जैन: गंगा दशहरा के पावन पर्व पर भगवान महाकाल की आराधना एक अनोखे तरीके से की जा रही है। गुरुवार सुबह भस्म आरती के बाद प्रारंभ हुई यह अखंड नृत्यांजलि देर रात शयन आरती तक निरंतर 18 घंटे तक चलेगी। इस महोत्सव में 100 से अधिक बच्चे और कलाकार शामिल हो रहे हैं, जो बाबा महाकाल को अपने नृत्य के माध्यम से प्रसन्न करने का प्रयास कर रहे हैं।
36 वर्षों से चल रही यह परंपरा
रसराज नृत्य संस्थान द्वारा आयोजित इस अनूठी नृत्य साधना की 37वीं वर्षगांठ मनाई जा रही है। संस्थान की निदेशक साधना मालवीय ने बताया कि यह परंपरा पिछले 36 वर्षों से गुरुवर राज कुमुद ठोलिया के मार्गदर्शन में जारी है। इस बार भी नृत्यांजलि के माध्यम से विश्व कल्याण, सुख-समृद्धि और शांति की कामना की जा रही है।
विशेष तैयारी और प्रस्तुति
इस आयोजन में 5 से 50 वर्ष तक की महिला कलाकारों ने एक महीने तक विभिन्न स्थानों पर कठिन अभ्यास किया है। बच्चे और युवतियां शिव तांडव, पंचाक्षर स्तोत्र और भगवान शिव की आरती पर नृत्य प्रस्तुत कर रहे हैं।
इस विशेष अवसर पर सम्राट विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अर्पण भारद्वाज, कलेक्टर रोशन कुमार सिंह, महाकाल मंदिर प्रशासक प्रथम कौशिक और सहायक प्रशासक मूलचंद जूनवाल कार्यक्रम में उपस्थित होकर कलाकारों को आशीर्वाद देंगे।
प्रतिभाशाली कलाकारों की सूची
रसराज नृत्य संस्थान की ओर से मृणालिनी चौहान, प्रियांशी जोशी, सुदर्शन स्वामी, दीपा मालवीय, दिव्यांशी बघेल, अंशिका मालवीय, त्रिशा मालवीय, ध्रुव टेम्भूर्णे, आस्था, भूमिका, अपेक्षा, सिद्धि, शगुन, मान्या, राखी, कनुमिता, याशिका, ललित, शिवानी, सुहानी, खुशबू, जया, अदिति, रिया, दिव्यांश, ईशिका, तनिशा, भूमि, महक, पूर्वी, श्रेया, कनक सहित कई अन्य प्रतिभाशाली कलाकार महाकाल मंदिर प्रांगण में अपनी प्रस्तुति दे रहे हैं।
इस अनूठे आयोजन में सभी श्रद्धालु और दर्शक एकत्रित होकर महाकाल की महिमा का अनुभव कर रहे हैं।
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