बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ गुरुवार को बांग्लादेश इंटरनेशनल क्रिमिनल ट्रिब्यूनल (ITC) ने मानवता के खिलाफ अपराध और हत्या के गंभीर आरोप तय किए। उन पर आरोप है कि उनके आदेश पर जुलाई 2024 में ढाका में हुए छात्र विरोध प्रदर्शनों को क्रूरता से कुचला गया, जिसमें लगभग 1,400 छात्र मारे गए। इस मामले में पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमां खान कमाल और पूर्व IGP चौधरी अब्दुल्लाह अल मामून को भी सह-आरोपी बनाया गया है।
रिपोर्ट के अनुसार, मामून ने अपना जुर्म कबूल कर लिया है और सरकारी गवाह बनने के लिए याचिका दायर की है। वह फिलहाल जेल में हैं। जबकि बाकी दो आरोपी देश से बाहर हैं और मुकदमा उनकी गैरमौजूदगी में चलेगा। हसीना पिछले 11 महीनों से भारत में रह रही हैं, और बांग्लादेश सरकार ने उनका पासपोर्ट रद्द कर दिया है।
हसीना के खिलाफ ITC में पहले से ही 5 मामले दर्ज हैं और 6 जनवरी 2025 को ट्रिब्यूनल ने 11 और लोगों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किए।
लीक ऑडियो बना सबूत: हसीना ने दिए थे ‘गोली मारने’ के आदेश
BBC की पुष्टि के अनुसार, हसीना और एक सरकारी अधिकारी के बीच हुई बातचीत का ऑडियो क्लिप लीक हुआ है, जिसमें वह कहती हैं कि “227 केस दर्ज हैं तो मुझे 227 लोगों को मारने का लाइसेंस भी मिल गया है।” इस ऑडियो को ट्रिब्यूनल ने सबूत के तौर पर स्वीकार कर लिया है। 2 जुलाई को ITC ने उन्हें अदालत की अवमानना के एक अलग मामले में 6 महीने की सजा सुनाई थी।
18 जुलाई 2024 की इस फोन कॉल के तुरंत बाद, ढाका में मिलिट्री-ग्रेड हथियारों का इस्तेमाल हुआ, और बड़ी संख्या में निर्दोष छात्रों की जान गई।
3 अगस्त से शुरू होगी सुनवाई, बढ़ सकती है सजा की अवधि
अब इस हाई-प्रोफाइल केस की सुनवाई 3 अगस्त से शुरू होगी और अगर आरोप साबित होते हैं, तो हसीना को आजीवन कारावास या मृत्युदंड जैसी सजा भी दी जा सकती है। यह मुकदमा बांग्लादेश के लोकतांत्रिक इतिहास में एक ऐतिहासिक मोड़ बन सकता है।
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