“ॐ नमः पार्वती पतये, हर-हर महादेव”
भारत की संस्कृति में सावन का महीना विशेष धार्मिक महत्व रखता है। यह महीना वर्षा ऋतु में आता है और प्रकृति हरियाली से भर जाती है। सावन का प्रत्येक सोमवार भगवान शिव को समर्पित होता है, जिसे “सावन सोमवार” कहा जाता है। इस दिन भक्त उपवास रखते हैं, शिव मंदिरों में जाकर जलाभिषेक करते हैं और “ॐ नमः शिवाय” का जाप करते हैं।मान्यता है कि सावन के सोमवार पर व्रत और पूजा करने से भगवान शिव शीघ्र प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएँ पूर्ण करते हैं। विशेषकर कन्याएँ इस दिन व्रत रखती हैं ताकि उन्हें मनचाहा जीवनसाथी प्राप्त हो। विवाहित महिलाएँ पति की लंबी उम्र और सुखमय वैवाहिक जीवन की कामना करती हैं।सावन में जगह-जगह कांवड़ यात्रा भी निकलती है, जिसमें भक्त दूर-दूर से गंगाजल लाकर शिवलिंग पर चढ़ाते हैं। इस माह में शिवपुराण, रुद्राभिषेक, शिव चालीसा और महामृत्युंजय मंत्र का जाप विशेष पुण्यदायक माना जाता है।सावन सोमवार केवल धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि भक्ति, श्रद्धा और आत्मिक शुद्धता का प्रतीक है। यह पर्व हमें संयम, साधना और सेवा का संदेश देता है। इस दिन का महत्व केवल कर्मकांड में नहीं, बल्कि सच्ची भक्ति और निष्ठा में छिपा है।

सावन का महत्व

सावन का महीना, जो हिंदू पंचांग के अनुसार श्रावण मास कहलाता है, वर्ष का सबसे पावन और भक्ति से भरपूर समय माना जाता है। इस महीने की शुरुआत होते ही चारों ओर हरियाली, बारिश की ठंडी फुहारें और शिवभक्ति की गूंज सुनाई देती है।सावन का महीना विशेष रूप से भगवान शिव को समर्पित होता है। इस दौरान भक्त “सावन सोमवार” के व्रत रखते हैं, शिवलिंग पर गंगाजल, बेलपत्र, और दूध चढ़ाते हैं। मंदिरों में रुद्राभिषेक, भजन, कीर्तन और शिवपुराण का पाठ होता है।महिलाएँ इस महीने में हरियाली तीज, रक्षाबंधन जैसे त्योहार भी मनाती हैं। हाथों में मेंहदी, हरे वस्त्र, और गीतों की मिठास सावन की पहचान है। इस समय प्रकृति भी जैसे भगवान शिव की आराधना में लीन हो जाती है।

कांवड़ियों में उत्साह

कांवड़ यात्रा का दृश्य भी सावन की एक विशेष छवि बनाता है, जिसमें लाखों शिवभक्त गंगाजल लाकर भोलेनाथ का जलाभिषेक करते हैं।सावन न केवल धार्मिक रूप से पवित्र है, बल्कि यह आत्मा को शांति, मन को संतुलन और जीवन को ऊर्जा देने वाला महीना भी है।इस सावन, आइए शिव के चरणों में मन को अर्पित करें और जीवन को भक्ति से रंग दें।

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