उज्जैन, भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक राजधानी, एक बार फिर विकास की नई राह पर अग्रसर हुआ है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने देवास रोड स्थित क्षिप्रा विहार में 360 करोड़ रुपये से अधिक लागत की विभिन्न विकास परियोजनाओं का भूमिपूजन और लोकार्पण किया। इस अवसर ने न केवल नगरी के भौतिक विकास को गति दी, बल्कि इसकी आध्यात्मिक और शैक्षणिक दिशा को भी नया आयाम प्रदान किया।यह भव्य आयोजन उज्जैन विकास प्राधिकरण (यूडीए), उच्च शिक्षा विभाग और महर्षि पाणिनि संस्कृत विश्वविद्यालय के संयुक्त प्रयासों का परिणाम था। कार्यक्रम में जनसैलाब उमड़ पड़ा और संतों की उपस्थिति ने इसे एक आध्यात्मिक आयोजन में परिवर्तित कर दिया। संतों के आशीर्वाद और धार्मिक वातावरण ने संपूर्ण आयोजन को पावन ऊर्जा से ओत-प्रोत कर दिया।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने अपने संबोधन में संतों को ईश्वर के समकक्ष मानते हुए कहा कि “यह हम सभी का सौभाग्य है कि इतने महत्वपूर्ण कार्य संत जनों की उपस्थिति में प्रारंभ हो रहे हैं।” उन्होंने इस अवसर को उज्जैन के लिए ऐतिहासिक बताया और कहा कि शहर की चमक लगातार बढ़ रही है, जो यहां की जनता के चेहरे की प्रसन्नता और आंखों की चमक से स्पष्ट दिखाई देती है।परियोजनाओं की बात करें तो इनमें बुनियादी ढांचे का विकास, वाणिज्यिक परिसर की स्थापना, शैक्षणिक संस्थानों के विस्तार तथा आध्यात्मिक स्थलों का सौंदर्यीकरण शामिल है। विशेष रूप से महर्षि पाणिनि संस्कृत विश्वविद्यालय की योजनाएं उज्जैन को एक वैश्विक शैक्षणिक केंद्र के रूप में स्थापित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं।

उज्जैन विकास प्राधिकरण द्वारा प्रस्तुत योजनाएं शहर के समग्र विकास को सुनिश्चित करने की दिशा में उठाया गया ठोस कदम हैं। इन योजनाओं में स्मार्ट सिटी मिशन से जुड़े कार्य, ट्रैफिक और परिवहन सुविधाओं में सुधार, जल-प्रबंधन और हरित क्षेत्र का विकास प्रमुख हैं। इससे न केवल नगरवासियों को सुविधा होगी, बल्कि उज्जैन पर्यटन और तीर्थाटन के क्षेत्र में भी एक नई पहचान बनाएगा।

इस कार्यक्रम ने यह स्पष्ट कर दिया कि उज्जैन का भविष्य उज्ज्वल है और शासन के साथ-साथ समाज का हर वर्ग इसमें अपनी भूमिका निभा रहा है। संतों का आशीर्वाद, सरकार की नीतिगत प्रतिबद्धता और जनता का सहयोग—इन तीनों का संगम उज्जैन को विकास की नई ऊंचाइयों पर ले जा रहा है।

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