पब्लिक फर्स्ट। उज्जैन । अमृत बैंडवाल ।
विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन में कोबरा सांपों के बच्चों के लगातार निकलने की घटनाओं ने पूरे परिसर में दहशत फैला दी है। कॉमर्स विभाग के वाग्देवी भवन में पिछले कुछ दिनों से रोजाना 3–4 कोबरा प्रजाति के सांपों के बच्चे निकल रहे हैं, जिससे विद्यार्थियों, फैकल्टी और प्रशासनिक स्टाफ में भारी चिंता का माहौल है।
कैसे शुरू हुआ संकट?
विश्वविद्यालय के कुछ कर्मचारियों ने बताया कि करीब तीन महीने पहले नाग-नागिन का जोड़ा इसी भवन के पास देखा गया था। आशंका है कि उसी जोड़े ने भवन के नीचे अंडे दिए होंगे। अब उन अंडों से कोबरा के बच्चे निकल रहे हैं, जो लगातार परिसर में देखे जा रहे हैं।
दहशत का असर: कक्ष बंद, पढ़ाई प्रभावित
- विश्वविद्यालय प्रशासन ने कॉमर्स विभाग के एक कमरे को बंद कर दिया है।
- कर्मचारियों और छात्रों को उस क्षेत्र में जाने से सख्त मना किया गया है।
- इससे पढ़ाई और प्रशासनिक कार्य बुरी तरह बाधित हो गए हैं।
- विद्यार्थियों की उपस्थिति में भारी गिरावट आई है, और कई छात्र अब कक्षाओं में नहीं आ रहे।
वन विभाग और विशेषज्ञ टीम अलर्ट पर
- वन विभाग की सांप पकड़ने वाली टीम को तुरंत बुलाया गया।
- अब तक दो कोबरा के बच्चे पकड़े गए हैं, लेकिन हर दिन नए सांप निकलना जारी है।
- विशेषज्ञों ने पुष्टि की है कि सांपों के सिर पर कोबरा प्रजाति के स्पष्ट निशान (नाग के खुर) दिख रहे हैं।
- परिसर में सघन तलाशी अभियान चलाया जा रहा है।
छात्रों और स्टाफ की अपील
छात्रों और कर्मचारियों ने विश्वविद्यालय प्रशासन और वन विभाग से त्वरित समाधान की मांग की है। उनका कहना है कि जब तक परिसर पूरी तरह सुरक्षित नहीं होता, तब तक पढ़ाई और कामकाज में बाधा आती रहेगी।
छात्रों का कहना है कि विश्वविद्यालय जैसी उच्च शिक्षा संस्थाओं में बेसिक सुरक्षा इंतज़ाम भी न होना, चिंताजनक है।
विशेषज्ञों की चेतावनी और सलाह
- सांपों को देखने पर स्वयं राहत कार्य न करें।
- तुरंत सुरक्षा गार्ड या वन विभाग को सूचना दें।
- अफवाहों से बचें और कोई भी छात्र या कर्मचारी ज़मीन खोदने या छेड़छाड़ से बचे।
- सांपों को नुकसान न पहुँचाएं, उन्हें पकड़कर सुरक्षित स्थान पर छोड़ा जा रहा है।
यह सिर्फ विक्रम यूनिवर्सिटी की बात नहीं!
यह घटना राज्य के अन्य शैक्षणिक परिसरों में बढ़ते वन्यजीव घुसपैठ की घटनाओं को भी उजागर करती है। छात्रों की सुरक्षा अब विश्वविद्यालयों के लिए एक प्राथमिक चुनौती बन गई है।
निष्कर्ष
कोबरा संकट ने एक बार फिर यह दिखा दिया कि शहरी क्षेत्रों में तेजी से फैलता विकास और वन्यजीवों का प्राकृतिक आवास छिनना, इंसानों और जीवों के आमने-सामने आने का कारण बन रहा है।
